नई दिल्ली: महिला आरक्षण के क्षेत्र में एक बड़ी खबर आई है। हाल ही में, संसद के विशेष सत्र के दौरान महिला आरक्षण विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस विधेयक पर अपने हस्ताक्षर कर दिए हैं, जिसके बाद यह विधेयक कानून का दर्जा प्राप्त कर लिया है। इस घटना के पश्चात्, भारत सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक के लिए एक गजट अधिसूचना जारी की है।
इस महत्वपूर्ण कदम के साथ ही, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने देश की आधी आबादी के लिए अपने वादे को पूरा किया है। अब संसद के दोनों सदनों, लोकसभा और राज्यसभा, में महिलाओं के लिए 33% सीटें आरक्षित हो गई हैं। इसके साथ ही, देश के सभी राज्यों की विधानसभाओं में भी महिलाओं को 33% आरक्षण का हक प्राप्त हो गया है। इस बड़े कदम से, अब संसद समेत सभी विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित कर दी गई हैं।
विधेयक का इंतजार लगभग 27 साल से चल रहा था
महिला आरक्षण विधेयक का इंतजार लगभग 27 साल से चल रहा था, और इसका कानून बन जाना एक महत्वपूर्ण कदम है। 1996 में पहली बार महिला आरक्षण विधेयक पेश किया गया था, लेकिन तब यह पारित नहीं हो सका था। इस विधेयक के मुताबिक, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए सीटों का 33% आरक्षित करने का प्रस्ताव था, जो तब पास नहीं हो सका था। अब यह विधेयक कानून के रूप में अपनी मंजूरी प्राप्त कर चुका है।
इस विधेयक के पास होने से, महिलाओं को सियासी प्रतिनिधिता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाने का मौका मिलेगा, और वे भारतीय समाज में अपनी भूमिका को मजबूती से निभा सकेंगी। यह विधेयक लगभग 27 साल से अटका हुआ था, और अब यह कानून बन चुका है, जिससे महिलाओं को सार्वजनिक जीवन में अधिक भागीदारी का मौका मिलेगा।
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