नोएडा के एक व्यक्ति ने अदालत में याचिका दायर कर कहा कि उसके खिलाफ दिल्ली की अदालत में मुकदमा दर्ज किया गया है, जबकि ना तो वह और ना ही इस मामले की शिकायतकर्ता दिल्ली में रहते हैं। दोनों ही उत्तर प्रदेश के नोएडा में रह रहे हैं। अदालत ने उस व्यक्ति की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि महिला देश के किसी भी हिस्से में अस्थायी रूप से भी रही हो तो भी वह वहां से मुकदमा दायर कर सकती है।
पीड़िता वर्ष 2018 में दक्षिणी दिल्ली में रह रही थी
साकेत कोर्ट स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रशांत शर्मा की अदालत ने कहा कि इस मामले की शिकायतकर्ता द्वारा पेश साक्ष्यों के आधार पर कहा गया है कि वह वर्ष 2018 में दक्षिणी दिल्ली में रह रही थी। इस बाबत जिस मकान में शिकायतकर्ता रही, उस मकान मालिक ने भी अदालत में शपथपत्र दाखिल कर बताया है कि शिकायतकर्ता उनके यहां रहती थी।
अदालत ने कहा कि ऐसे में कानून के हिसाब से पीड़िता दिल्ली में अपना मुकदमा दर्ज करा सकती है और इस मामले की दिल्ली की अदालत में सुनवाई में कोई विसंगति नहीं है। ऐसे में शिकायतकर्ता महिला के मुकदमे को यहां सुना जाना उचित है।
घरेलू हिंसा का है मामला
मामले में महिला ने पति व ससुराल वालों के खिलाफ दिल्ली में घरेलू हिंसा समेत अन्य मुकदमे दर्ज कराए हुए हैं। बहरहाल, महिला और ससुराल पक्ष के लोग भी नोएडा में ही रहते हैं। वादी पति का कहना था कि जब पत्नी यूपी में रह रही है तो उसने दिल्ली में मुकदमा दर्ज क्यों कराया है। उसने इसी आग्रह के साथ अदालत में याचिका लगाई थी कि यह मामला दिल्ली की अदालत के अधिकारक्षेत्र में नहीं आता, लेकिन अदालत ने इस याचिका को सिरे से खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा कि महिला का अस्थायी पता दिल्ली में मौजूद है जो कानून के हिसाब से हर तरह मान्य है।
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