देश में इन दिनों बुलडोजर की काफी चर्चा है. मौजूदा सियासत में बुलडोजर एक अलग ही प्रतीक के तौर पर उभरा है. उत्तर प्रदेश में जब विधानसभा चुनाव हुए तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ही लोग चुनावी सभाओं में बुलडोजर बाबा कहने लगे. इसके बाद मध्य प्रदेश में बुलडोजर से खरगौन में प्रशासन द्वारा मकान गिराने की खबरें आईं. दिल्ली में जहांगीरपुर हिंसा के बाद बुलडोजर के कहर से बचने के लिए लोग सुप्रीमकोर्ट तक जा पहुंचे. वैसे इमर्जेंसी में भी बुलडोजर की महिमा किसी से छिपी नहीं है.
संयोग की बात है कि दुनिया के किसी देश में अगर इस समय बुलडोजर सबसे ज्यादा चर्चा में है तो वो अपना ही देश है. सुप्रीम कोर्ट में एक जज ने टिप्पणी की कि बुलडोजर तो तोड़फोड़ के लिए ही होते हैं. लेकिन 99 साल पहले जिसने बुलडोजर का आविष्कार किया था, उसके दिमाग में इसके जरिए खेती-किसानी को समृद्ध करने की योजना थी.
दरअसल खेती के लिए कई जमीनें इतनी उबड़-खाबड़ होती थीं कि उन्हें सपाट करके भुरभुरी उपजाऊ जमीन में तब्दील करना बहुत मुश्किल होता था. खेती करने वालों को बहुत मुश्किल होती थी. दुनिया में शुरुआती ट्रैक्टर बनाने में फेमस रही हॉल्ट कंपनी ने शुरुआती बुलडोजर खेती की जमीनों को ठीक करने के लिए ही बनाया था.
किसान ने बनाया था दुनिया का पहला बुलडोजर
1923 में एक किसान और एक ड्राफ्ट्समैन ने मिलकर पहले बुलडोजर का डिजाइन तैयार किया. किसान का नाम था जेम्स कुमिंग्स और ड्राफ्ट्समैन थे जे अर्ल मैकलेयोड. ये दोनों अमेरिका के कंसास में रहते थे, जहां कई जगहों पर खेती करना बहुत उबड़ खाबड़ जगहों के कारण मुश्किल हो रहा था. दोनों ने मिलकर पहला बुलडोजर 18 दिसंबर 1923 को बनाया.
फिर इसका पेटेंट कराया
फिर उन्होंने इसका अमेरिकी पेटेंट भी करा लिया. पेटेंट नंबर था 1,522,378. लेकिन ये पेटेंट कृषि कार्यों में टैक्ट्रर के अटैचमेंट के तौर पर हुआ. 1920 के दशक में ट्रक आ चुके थे और खूब इस्तेमाल भी होने लगे थे. हालांकि तब के ट्रक रबर टायर वाले नहीं थे. 40 के दशक में रबर टायर वाले वाहन आए.
तब कैसे लगते थे बुलडोजर
तब मूलतौर पर बुलडोजर ट्रैक्टर जैसे ही लगते थे. क्योंकि ट्रैक्टर के अगले हिस्से में लंबी, पतली धातु की प्लेट लगा दी गई थी. जो मैकेनिकल तरीके से नीचे आकर मिट्टी की खुदाई करके उससे सपाट कर देती थी. शुरुआती बुलडोजर्स में ड्राइवर के लिए केबिन नहीं होता था बल्कि उसके खुले में ही बैठकर काम करना होता था.
बाद में इनमें सुधार होते गए
बाद में बुलडोजर्स के ब्लेड्स में भी और सुधार हुआ, पैनेपन में भी. फिलहाल जिन ब्लेड्स से तोड़फोड़ का काम होता है और मिट्टी निकालने और फेंकने का, वो यू ब्लेड्स हैं. जो पहले तोड़फोड़ करते हैं और फिर मलबे को उठाकर फेंकते भी हैं. पहले ये सारे ब्लेड ट्रैक्टरनुमा वाहन के साथ ही लगकर मिलते थे. अलग अलग ब्लेड्स के साथ ये 1929 में नमूदार हुए. इन्हें तब बुलडोजर नहीं बल्कि बुल ग्रेडर्स कहा जाता था.
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