साइबर अपराध में डेटा का खेल सबसे अहम होता है और इसे लेकर साइबर अपराधी भी मोटी रकम खर्च करते हैं. इस बात का खुलासा CID के साइबर सेल ने किया है. वहीं इस अनुसंधान मे ये बातें भी सामने आई है कि झारखंड में ज्यादातर डेटा बंगाल से आता है. डेटा कलेक्शन के लिए साइबर अपराधियों की एक अलग टीम काम करती है जो सिर्फ और सिर्फ डेटा का संग्रह करती है, जिसके बाद डेटा कलेक्शन के साथ ही शुरु होता है साइबर ठगी का वो खेल जिसमे न सिर्फ आम लोग बल्कि सुपर स्टार भी फंस जाते हैं. क्योंकि उंगलियों और आवाज की जादूगरी के इस खेल में न कोई आम होता है और न कोई खास.
झारखण्ड साइबर अपराधों का हब- जामताड़ा
झारखंड को साइबर अपराध का हब कहा जाता है. इसी राज्य में स्थित जामताड़ा साइबर अपराधियों नगरी है और इसी धरती से सुपर स्टार अमिताभ बच्चन हो या फिर कोई बड़े नेता साइबर अपराधी उनको भी अपना शिकार बना लेते हैं. लेकिन, साइबर अपराधियों के पास लोगों के नंबर सहित अन्य डेटा पहुंचते कैसे हैं कौन उन्हें ये डेटा मुहैया कराता है? यह बातें कभी कभार सामने आती तो रहती है लेकिन अब ये बात पूरी तरह से पुख्ता हो गई है. झारखण्ड के साइबर अपराधी ये डेटा झारखण्ड से कम लेकिन बंगाल से ज्यादा उठाते हैं. यह खुलासा खुद झारखण्ड सीआईडी के साइबर सेल ने ही किया है. सीआईडी की टीम इस पूरे नेटवर्क के जाल को तोड़ने में जुटी है.
पैसे देकर खरीदते हैं डेटा
साइबर अपराधियों के द्वारा सबसे ज्यादा खर्च डेटा पर होता है. इसकी जानकारी देते हुये सीआईडी के एसपी एस कार्तिक ने कहा कि साइबर अपराध की जगत में हर एक डेटा की कीमत 5 रुपये होती है. यह डेटा उन्हें बैंक, मॉल, टेलीकॉम कंपनियों, इंश्यूरेंस, जेरॉक्स सहित अन्य जगहों से मिलते हैं और इन डेटा के एवज में साइबर अपराधी डेटा प्रोवाइडर को मोटी रकम देते हैं. मामले में पिछले दिनों एक अपराधी जमशेदपुर से पकड़ा गया ठाट. वहीं रांची पुलिस ने इसी आरोप में खूंटी से एक आरोपी को गिरफ्तार किया था. यह आरोपी डेटा का सौदा साइबर अपराधियों से किया करते थे.
बंगाल से आता है डेटा
साइबर सेल की टीम को साइबर अपराधियों से अहम जानकारियां मिली हैं, जिसमे इस बात का भी खुलासा हुआ है कि कोलकाता और उसके आस पास के इलाको से डेटा प्रोवाइड क़िया जाता है और हर डेटा की कीमत 5 रुपये होती है. इस डेटा में शिकार का न सिर्फ नाम, बल्कि मोबाइल नंबर, बैंक अकाउंट डिटेल आधार नंबर सहित कई और अहम जानकारियां साइबर अपराधियों को मिल जाती है. इसी के जरिए अपराधी किसी को भी काफी आसानी से अपने झांसे मे ले लेते हैं. कोई साइबर अपराधी बैंक मैनेजर तो कोई इंश्यूरेंस एजेंट बन सामने वाले व्यक्ति को चुना लगा लेता है और खातों से पैसे साफ कर देता है.
सावधानी है जरूरी
रांची के सिटी एसपी सौरभ बताते है कि डिजिटल दुनिया में किसी के लिए अपना डेटा बचाना आसान नहीं. ऐसे में जरूरी है कि लोग भी कुछ बातों का ख्याल रखे और कम से कम जगहों पर डेटा का हस्तांतरण करे. वहीं अगर कोई कॉल आता है तो उसपर पूरा भरोसा नहीं करें. खासकर कॉल पर ओटीपी शेयर तो बिलकुल न करें. वहीं किसी एप्प को भी सिर्फ फोन कॉल के आधार पर इंस्टॉल न करें.
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