
एलबीएसएम कॉलेज में ‘इंपैक्ट एंड चैलेंजेज आफ एआई इन ग्लोबल सिनारियो’ विषय पर दो दिवसीय सेमिनार आरंभ
एआई पर सेमिनार प्रासंगिक, एलबीएसएम कॉलेज की सराहनीय पहल : प्रो. डॉ. अंजिला गुप्ता
सेमिनार में तीन देशों और झारखंड समेत विभिन्न राज्यों के विद्वान और शोधार्थी भाग ले रहे हैं
जमशेदपुर : 11 अप्रैल 25
“आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करने से पहले मनुष्य के पास अपना इंटेलिजेंस होना चाहिए, ताकि इस तकनीक का हम सही तरीके से उपयोग कर सकें। हमें इस पर ध्यान देना होगा कि हम मानवीय बुद्धिमत्ता और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के बीच संतुलन कैसे बना सकते हैं। एआई के उपयोग से हम विकास की ओर बढ़ेंगे या विनाश की ओर, इस पर गंभीरता से विचार करना होगा। हमारे देश में युवाओं की संख्या अधिक है, इस युवा देश में एआई बेरोज़गारी बढ़ाएगा या उसे घटाने में सहयोगी होगा, यह एक बड़ा सवाल है।”
आज एलबीएसएम कॉलेज और इसके आइक्यूएसी तथा टूकॉन रिसर्च एंड डेवलपमेंट, बंगलुरू, प्रज्ञा रिसर्च एसोसिएशन, अखिल भारतीय जनकल्याण शैक्षिक संघ द्वारा ‘इंपैक्ट एंड चैलेंजेज आॅफ एआई इन ग्लोबल सिनारियो’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार की मुख्य अतिथि कोल्हान विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. डॉ. अंजिला गुप्ता ने ये विचार व्यक्त किए।
पूरी दुनिया का एआई के बिना गुज़ारा नहीं
कुलपति ने कहा कि सेमिनार का विषय बहुत प्रासंगिक है। एलबीएसएम कॉलेज की यह पहल सराहनीय है। आज गांव, शहर, राज्य, देश और पूरी दुनिया का एआई के बिना गुज़ारा नहीं है। हमने आज के पहले कभी नहीं सोचा था कि कोई मशीन निर्णय ले सकता है, रिस्पांस कर सकता है। हमारे प्राचीन ज्ञान में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के बीज पहले से मौजूद थे, पर आज जो एआई है उसने कई गंभीर चुनौतियां पैदा की है, लेकिन कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती। हम उसकी गहराई में जाकर समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। सही निर्णय करते हुए एआई का सकारात्मक उपयोग कर सकते हैं।
उन्होंने देश के बड़े हिस्से के विकास- खासकर सांस्कृतिक आर्थिक व सामाजिक विकास तथा झारखंड की कला-संस्कृति के विकास के लिए कृत्रिम बुद्धिमता के उपयोग का सुझाव दिया।
समय परिवर्तन के साथ तकनीकी में परिवर्तन होता है – प्राचार्य
सेमिनार का उद्घाटन द्वीप प्रज्ज्वलन से हुआ। उसके बाद कुलगीत और स्वागत गान हुआ। एलबीएसएम कॉलेज के प्राचार्य डॉ. प्रो. अशोक कुमार झा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि समय परिवर्तन के साथ तकनीकी में परिवर्तन होता है और पुनः जीवन प्रणाली में परिवर्तन आता है। परिवर्तन के साथ तादात्म्य बनाना जरूरी है। आज हम भविष्य में हमारे जीवन को प्रभावित करने वाले कारक एआई पर चर्चा कर रहे हैं, इस प्रकार भविष्य चर्चा कर रहे हैं। भविष्य में रोजगार सृजन में कृत्रिम बुद्धिमता की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रहेगी। उन्होंने संसाधन प्रबंधन व खोज, उनके संरक्षण, डाटा विश्लेषण में कृत्रिम बुद्धिमता के उपयोग की बात कही।
कृत्रिम बुद्धिमता एक स्मार्ट तकनीक है जिस पर कई शोध जारी हैं – रोहित आनंद
सेमिनार का बीज वक्तव्य देते हुए एआई विशेषज्ञ रोहित आनंद ने कि कृत्रिम बुद्धिमता एक स्मार्ट तकनीक है जिस पर कई शोध जारी हैं। यद्यपि इसका उपयोग काफी बढ़ा है लेकिन अगले दो से तीन वर्षाें में इसमें कई तरह के परिवर्तन होने की संभावना है। वर्तमान में इसका सर्वाधिक प्रयोग नौकरियों में तेजी से कार्य संपादन में हो रहा है। इसी तरह शोध में, फाइलों को खोजने में, इसके उपयोग बढ़ रहे हैं। यह एक मल्टीस्किल्ड तकनीक है जो हमारे बौद्धिक क्षमता और व्यवहार की कॉपी करता है। भारत में लगभग सभी संस्थानों में इसके उपयोग में तेजी से वृद्धि हो रही है।
कृत्रिम बुद्धिमता का कनसर्न काफी विस्तृत – केतन मिश्रा
सेमिनार के विषय के बारे में बताते हुए टूकॉन रिसर्च एंड डेवलपमेंट के डायरेक्टर केतन मिश्रा ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमता पर बहुत सारे शोध हो रहे हैं। कृत्रिम बुद्धिमता का कनसर्न काफी विस्तृत है। लेकिन इसके आधारभूत ज्ञान की जानकारी सभी को होनी चाहिए। यद्यपि इस पर विश्वस्तरीय संस्थान शोधकार्य कर रहे हैं जिसका सर्वाधिक लाभ और अध्ययनरत अगली पीढ़ी के विद्याार्थियों को होगा। ऐसे विद्यार्थी अल्फा-लेवल पार कर जाएंगे जिससे शिक्षक-विद्यार्थी में तालमेल बनाना कठिन होगा। इसलिए एक प्रेक्टिकल फिनिशिंग होनी चाहिए। विद्याार्थियों के साथ शिक्षक को भी ट्रेन्ड किया जाना चाहिए।
इसके अलावा कृत्रिम बुद्धिमता की जानकारी ग्रामीणों को भी उपलब्ध करानी चाहिए क्योंकि भारत की अधिकतर जनसंख्या गांवों में रहती है। इस पर बड़ी-बड़ी यूनिवर्सिटी काम कर रही है। इसलिए व्यावहारिक जमीनी कार्यों पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
उद्घाटन सत्र में ही सेमिनार की स्मारिका का विमोचन हुआ।
उद्घाटन सत्र में मंच पर सबाब आलम और अपूर्व साहा भी मौजूद थे। इस अवसर पर कोआपरेटिव कालेज के प्राचार्य डॉ. अमर सिंह, एबीएम कालेज के प्राचार्य प्रो. विजय कुमार पीयूष, घाटशिला कालेज के प्राचार्य आरके चौधरी, शिक्षक संघ के अध्यक्ष इंदल पासवान, डॉ. अशोक रवाणी, विनोद शर्मा आदि भी मौजूद थे।
उद्घाटन सत्र में धन्यवाद ज्ञापन सेमिनार के समन्वयक डॉ. विजय प्रकाश ने किया। संचालन आईएक्यूएसी की कोआर्डिनेटर डॉ. मौसमी पॉल ने किया।
सेमिनार में तीन देशों- जर्मनी, यूएसए और नेपाल और झारखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश समेत विभिन्न राज्यों के विद्वान और शोधार्थी भाग ले रहे हैं। उद्घाटन सत्र के बाद आज चार टेक्निकल सत्रों में लगभग पचहत्तर शोध आलेख पढ़े गए। लगभग तीन सौ शोधार्थी और विद्वान इस सेमिनार में हिस्सा ले रहे हैं।
सत्रवार विवरण
प्रथम तकनीकी सत्र
प्रथम तकनीकी सत्र (सेमिनार हॉल) के अध्यक्ष डॉ. विनोद कुमार (सिदो कान्हु यूनिवर्सिटी), रिसोर्स पर्सन डॉ सबाब आलम (प्रेसिडेंट ऑफ़ फर्स्ट एड कौंसिल ऑफ़ इंडिया) स्पीकर डॉक्टर किशोर कुमार ओजा, समन्वयक डॉ. स्वीकृति, प्रतिवेदक डॉ. प्रशांत और तकनीकी सत्र का विषय प्रवेश डॉ. विजय प्रकाश ने कराया ।
इस सत्र में मुख्य रूप से निम्न शोधार्थियों ने अपने पेपर को प्रेजेंट किया-
1. वैष्णव चरण मुखी- टॉपिक: भक्ति कालीन काव्य में उड़ीसा और कलाभाषा का विशेष योगदान पर चर्चा प्रस्तुत की
2. चंद्रशेखर राय- टॉपिक: द इंपेक्ट ऑफ आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस ऑन सोसाइटी पर चर्चा प्रस्तुत की
3. मृणाल गुप्ता- टॉपिक: पुस्तकालय सेवाओं में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का प्रभाव और चुनौतियों का अध्ययन पर चर्चा प्रस्तुत की
4. वजदा तबस्सुम- टॉपिक: ए. आई.इन हेल्थ केयर एंड ह्यूमन बिहेवियर पर चर्चा प्रस्तुत की
5. संगीता कुमारी- टॉपिक: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंपैक्ट एंड चौलेंज इन हायर एजुकेशन पर चर्चा प्रस्तुत की
6. अंजू ठाकुर – टॉपिक: उच्च शिक्षा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का योगदान पर चर्चा प्रस्तुत की
7. ट्विशी भारत झा – टॉपिक: एनालाइजिंग हाउ ए.आई. हैज एक्सेलरेट एफिशिएंसी का गवर्नेंस इन अवर कंट्री पर चर्चा प्रस्तुत की
8. डॉ. मनोज कुमार- टॉपिक: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ट्रेंड्स ऑपच्यरुनिटी एंड चौलेंज पर चर्चा प्रस्तुत की
9. संदीप चंदा-टॉपिक: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड ट्रांसजेंडर राइट्स इन इंडिया, लीगल चौलेंज अपॉर्चुनिटी एंड एथिकल कॉर्डिनेशन पर चर्चा प्रस्तुत की
10. राजीव प्रियदर्शन -टॉपिक: आई का समाज पर प्रभाव पर चर्चा प्रस्तुत की।
द्वितीय तकनीकी सत्र
द्वितीय तकनीकी सत्र (कॉन्फ्रेंस हॉल) के अध्यक्ष डॉ. अजेया वर्मा (कॉमर्स विभागाध्यक्ष, कोल्हान यूनिवर्सिटी), रिसोर्स पर्सन अपूर्वा साहा (अंग्रेजी विभागध्यक्ष सिदो कान्हु बिरसा विश्वविद्यालय पुरुलिया )
समन्वयक डॉ. सुष्मिता धारा, प्रतिवेदक डॉ. सुधीर कुमार ।
तकनीकी सत्र का विषय प्रवेश डॉ. मौसमी पॉल ने कराया।
इस सत्र में कुल 17 शोधार्थियों ने अपने पेपर को प्रेजेंट किया
1. युवराज कुमार- टॉपिक: इंपैक्ट ऑफ़ ए.आई. ऑन सोसायटी
2. सरत कुमार मांझी- टॉपिक: कृत्रिम बुद्धिमत्ता का व्यावहारिक अनुप्रयोग
3. राजमोहन महतो- टॉपिक: कृत्रिम बुद्धिमत्ता का समाज पर प्रभाव
4. पांडुराम हायब्रू- टॉपिक: उच्च शिक्षा पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता का प्रभाव एवं चुनौतियां
5. डॉ. अस्मिता किरण टोप्पो- टॉपिक: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस संबंधी नीतियां तथा डिजिटल सार्वजनिक और संरचना में ए.आई. की उपयोगितारू भारतीय संदर्भ में
6. प्रवीण कुमार महतो- टॉपिक: उच्च शिक्षा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का योगदान स्ट्रक्चरल एंड ऑप्टिकल एनर्जी जी. ओ. सी डी एस नैनो कंपोजिट फॉर फोटोनिक एप्लिकेशन
7. पुष्पा सालो लिंडा – दा रेवोल्यूशनरी इंपैक्ट ऑफ इंटिलन्जेंस इन बॉटनी
8. डॉ. अनवर सबाब और सुश्री कंचन बाला – इंपैक्ट एंड चौलेन्जेस् ऑफ ए.आई. ऑन हाईएर एजूकेशन
9. डॉ. सुमन कुमारी और कुमारी प्रियंका – ए.आई. शेपिंग आवर ओरिजिनल चेंजेस रू दा एवेरी डे थ्रेट
10. सुश्री कमला केसरी दास – इंपैक्ट ऑफ ए. आई. ऑन सोसाइटी –
11. रवि कुमार सिंह – द इंपैक्ट ऑफ ए. आई. कल्चरल इंटिग्रेशन: एसेसिंग इट्स इंपेक्ट ऑन एकल्चरेशन इन सेसायटी
12. स्निग्धा डे – द टांसफोरमिटिव इंम्पेक्ट ऑफ ए. आई. ऑन ई कॉमर्स फिनांस एण्ड इमर्जिंग सेक्टर्स
13. एश्वर्या श्रीकर्मकार – जेनेरेटिव ए. आई. इन वी. आर. एण्ड इंग्लिस लिटेरेचर
14 डॉ कृष्ण कुमार शर्मा – द इंपैक्ट ऑफ ए. आई. ऑन सोसाइटी।
एआई के संदर्भ में मजबूत नैतिक कानून बनना चाहिए – डॉ. अपूर्वा साहा
इस सत्र में डॉ. अपूर्वा साहा ने रिसोर्स पर्सन के रूप में एआई तकनीक के विकास और इतिहास पर विस्तार से चर्चा की और कहा कि अगर यह नैतिकताविहीन होगी और मनुष्य की तरह सोचने लगेगी, तो जनसंहार भी हो सकता है। उन्होंने कहा कि एआई के संदर्भ में मजबूत नैतिक कानून बनना चाहिए। उन्होंने बताया कि 32 देशों ने चैट जीपी को ब्लॉक कर दिया है।
एआई से बच पाना संभव नहीं है – डॉ. अभय कृष्ण सिंह
डॉ. अभय कृष्ण सिंह ने कहा कि एआई से बच पाना संभव नहीं है। इसका इंसान को रिप्लेस करने के लिए उपयोग नहीं होना चाहिए। डॉ. स्मिता किरण ने भारत में एआई से संबंधित रणनीतियों की पर्चा की। प्रियंका कुमारी ने बताया कि ए आई किस तरह हमारी मूलभूत इच्छाओं को प्रभावित कर रहा है। कृष्ण कुमार शर्मा ने अपने शोध आलेख में समाज पर पड़ने वाले एआई के प्रभाव को चिह्नित किया। उन्होंने बताया कि इससे फेक फोटो को डिटेक्ट किया जा सकता है। यह अध्ययन और शोध का सहयोगी होगा।
तृतीय तकनीकी सत्र
सत्र: 3: तृतीय तकनीकी सत्र (सेमिनार हॉल) के अध्यक्षता डॉ एस.पी. सिंह (घाटशीला महाविद्यालय, कोल्हान यूनिवर्सिटी) ने की, रिसोर्स पर्सन प्रो. डॉक्टर किशोर कुमार ओजा (डिपारर्ट ऑफ मैनेजमेंट एनएसयू) रहे। डॉ समन्वयक डॉ. जया कच्छप, एल.बी.एस.एम कॉलेज, प्रतिवेदक डॉ. संतोष कुमार और तकनीकी सत्र का विषय प्रवेश डॉ. दीपांजय श्रीवास्तव ने कराया। इस सत्र में प्रमुख रूप से निम्न वक्ताओं ने हिस्सा लिया –
1. संदीप चंद और डॉ. कोयल रॉय ने कृत्रिम बुद्धिमता द्वारा ट्रांसजेंडर्स के संदर्भ में वास्तविक चुनौतियों और समाधान के सदर्भ में परिचर्चा प्रस्तुत की।
2. डॉ, सुमन छैल ने कृत्रिम बुद्धिमता को लागू करने में होने वाली बाधाओं के संदर्भ में व्याख्यान दिया और जमशेदपुर में लर्निंग एक्सपीरिएंउ ऑफ ए.आई. टूल पर जोर दिया।
3. डॉ. जीतेंद्र कुमार ने भारतीय न्याय प्रणाली में कृत्रिम बुद्धिमता की उपयाेिगता पर परिचर्चा प्रस्तुत करते हुए बताया कि ए.आई. न्यायधीश बन सकतस है कि नहीं; न्याय के क्षेत्र में ए.आई. की क्या उपयोगिता और संभावनाएं हो सकती है; ए.आई. न्याय प्रणाली में प्रजातंत्र को किस प्रकार कायम रख सकता है।
4. डॉ. मु. नजरूल इस्लाम ने बताया कि संवेदनाओं का स्थान ए.आई. नही ले सकता है।
5. मानदेव प्रसाद ने बताया कि ई कॉमर्स मंें ए.आई. की उपयोगिता पर चर्चा प्रस्तुत की।
6. डॉ. आलोक, डॉ. सुरभि ने प्राकृतिक आपदाओं को जानने, उसके प्रभाव का आकलन करने तथा उनसे जानमाल के होने वाले नुकसान को कम करने, पुनर्वास व प्रतिपूर्ति को बढ़ावा देने में ए.आई. किस प्रकार सहयोगी हो सकता है, पर विस्तृत चर्चा प्रस्तुत की।
7. डॉ. सुप्रंभा तुती ने ए.आई. की क्षमता, जिम्मेदारी, नैतिकता औश्र चुनौतियों पर चर्चा प्रस्तुत की।
8. आशा रानी सूंडी ने मानव भाषा को समझने, उसे उन्नत करने, भाषा प्रशिक्षण देने, अनुकुलित भाषा का विकास करने, अनुवाद करने में ए.आई. के उपयोगिता की चर्चा प्रस्तुत की। ए.आई. किस प्रकार भाषा विकास में सहायक है, पर चर्चा प्रस्तुत की, खासकर भाषा शिक्षण में ए.आई. की भूमिका, इसकी चुनौतियों, भाषाई विविधता आदि पर चर्चा प्रस्तुत की ।
तकनीकी सत्र – चौथा
अध्यक्ष – बी. के. सिंह, वित्तीय पदाधिकारी, कोल्हान विश्वविद्यालय
समनव्यक – अरविंद प्रसाद पंडित
विषय प्रवेश – डॉ. संचिता भुई सेन
शोध पत्र प्रस्तुतकर्ता और विषय
1. अरविंद प्रसाद पंडित – स्वास्थ्य के देखभाल पर ए.आई के उपयोग पर चर्चा की
2. कपिल देव महतो –
3. रत्ना पांडे – स्वास्थ्य के देखभाल पर ए.आई के उपयोग पर चर्चा की
4. कपरा मार्डी –
5. बीजो किस्कु – प्राचीन काल से वर्तमान काल में महिलाओं की भूमिका
6. अपूर्बा डे व वुमेन ंगेंस्ट फेमिनिन हंगर एण्ड ऑर्थोडॉक्स रिचुअल इन सेलेक्टेड नॉवेल ऑफ भवानी भट्टाचार्य
7. कुमार नील कांत – द यूज ऑफ ए.आई इन लाइब्रेरी एडुकेशन
8. कपरा सोरेन – प्राचीन काल से वर्तमान काल में महिलाओं की भूमिका
9. पूनम चौधरी – ए. आई एथिक्स एण्ड बियास: व्हाय इट मैटर्स एण्ड हाउ कैन वी फिक्स इट
10. चंदन कुमारी – महिला उद्यमिता में वित्तीय साक्षरता का स्तर और वर्तमान में उनका व्यसायिक प्रदर्शन।
शेष शोध आलेख कल पढ़े जाएंगे।
आज इस मौके पर संताली और हो विभाग तथा एनसीसी विभाग की ओर से सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।
12 अप्रैल को भी सेमिनार जारी रहेगा।

शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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