
विशेषज्ञों का कहना है कि लेजर हथियार कई मामलों में मिसाइल जैसे हथियारों से अधिक कारगर हो सकते हैं। हालांकि शुरुआत में उन्हें विकसित करना महंगा पड़ता है, लेकिन एक बार क्षमता आ जाने के बाद उनका इस्तेमाल बहुत सस्ता हो जाता है। लेकिन इन हथियारों की खामी यह है कि इनके इस्तेमाल में बिजली की भारी खपत होती है, दूरी बढ़ने के साथ इन हथियारों की मारक क्षमता कमजोर पड़ने लगती है, और मौसम का इन पर काफी असर होता है।इसके बावजूद हाल में आईं खबरों से संकेत मिला है कि अमेरिका, चीन और रूस के बीच अधिक से अधिक सक्षम लेजर हथियार विकसित करने की एक होड़ लग गई है।
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इससे चीन की हवा से हवा में मार करने की क्षमता में भारी बढ़ोतरी होगी।
चीन के सरकारी टीवी चैनल चाइना सेंट्रल टेलीविजन पर एक चीनी सैन्य विशेषज्ञ ने यह कहा कि जे-20 लड़ाकू विमानों पर लेजर हथियार लगाए जाएंगे।चीन ने गुपचुप हमला करने में सक्षम अपने जे-20 लड़ाकू विमानों को लेजर हथियारों से लैस करने की घोषणा हाल में की है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इससे चीन की हवा से हवा में मार करने की क्षमता में भारी बढ़ोतरी होगी। साथ ही यह भी संभव है कि हाइपरसोनिक हथियारों से बचाव की क्षमता भी एक हद तक वह हासिल कर ले।उधर, रूस भी अपने लेजर हथियारों की क्षमता बढ़ाने की एक बड़ी योजना पर अमल कर रहा 2003 में इसे फिर शुरू किया गया, लेकिन अब इसमें नई तेजी आई है।
विशेषज्ञों के मुताबिक लेजर हथियारों के मामले में अमेरिका काफी शक्तिशाली है।
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रूस ने ए-60 नाम का एक लेजर सिस्टम तैयार किया है। इसके अलावा उसने तीन और ऐसे लेजर हथियार तैयार किए हैं, जिन्हें जमीन से दागा जा सकता है।अमेरिका में लेजर हथियारों के विकास में 2002 के बाद खास तेजी आई थी। अब अमेरिका ने वाईएएल 1-ए लेजर सिस्टम का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। उसने ऐसे लेजर हथियार बना लिए हैं, जिनसे वह टैक्टिकल बैलिस्टिक मिसाइलों को उनके दागे जाने के समय ही मार कर गिरा सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक लेजर हथियारों के मामले में अमेरिका काफी शक्तिशाली है।
जानकारों का कहना है कि लेजर तकनीक नई नहीं है। अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन टैक्टिकल एयरबोर्न लेजर सिस्टम प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। ये हथियार हर तरह की मिसाइल को हवा में ही मार गिराने में सक्षम होगा। लॉकहीड मार्टिन का ये प्रोजेक्ट 2021 में ही पूरा होना था। लेकिन अब बताया गया है कि यह 2023 में पूरा होगा।

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