मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में एक स्कूल में एक छात्र को उसके सहपाठियों से थप्पड़ मारने का मामला सामने आया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने UP सरकार को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस घटना ने राज्य की अंतरात्मा को झकझोर दिया है और छात्रों की सुरक्षा पर सख्त नजर रखने की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, इस मामले में एक शिक्षिका द्वारा एक मुस्लिम छात्र को उसके सहपाठियों द्वारा थप्पड़ मारने का आरोप है। कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से देखा है और यूपी सरकार को इस मामले की जांच करने का निर्देश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक और महत्वपूर्ण बिन्दु पर भी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी छात्र को केवल इस आधार पर दंडित करने की मांग की जाती है कि वह एक विशेष समुदाय से है, तो इसका मतलब है कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं दी जा रही है और राज्य सरकार को छात्रों की सुरक्षा और उनके शिक्षा के प्रति सख्त उम्मीदें रखनी चाहिए।
इस मामले में जांच के लिए उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी की नियुक्ति की गई है, जो सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। इसके साथ ही, कोर्ट ने यूपी सरकार से डेटा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है कि वे राज्य भर के स्कूलों में आरटीई अधिनियम के कार्यान्वयन पर चार सप्ताह में स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
शिक्षा के अधिकार अधिनियम के उल्लंघन
यह मामला शिक्षा के अधिकार अधिनियम के उल्लंघन के रूप में भी देखा जा सकता है, जो 14 साल तक के बच्चों को बिना किसी भेदभाव के गुणवत्तापूर्ण, मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने से संबंधित है।
इस मामले में न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने सुनवाई की है, जिसमें मुजफ्फरनगर पुलिस द्वारा सांप्रदायिक टिप्पणी करने और कथित तौर पर अपने छात्रों को होमवर्क न करने पर एक मुस्लिम सहपाठी को थप्पड़ मारने के आरोप पर सुनवाई की जा रही है।
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