
राष्ट्रीय हरित अधिकारण (एनजीटी) ने गंगा और उसकी सहायक नदियों में प्रदूषण के मुद्दे पर चार झारखंड जिलाधिकारियों को आठ सप्ताह में रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं। इन जिलों से गंगा और उसकी सहायक नदियां गुजरती हैं और इन्हें प्रदूषण से नियंत्रित करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। एनजीटी ने बिहार के 38 जिलों के डीएम से भी इस विषय पर रिपोर्ट मांगी है।
एनजीटी के एडीक्षनल चीफ जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव ने कहा कि अधिकरण ने 28 अगस्त के आदेश में व्यक्त किया था कि गंगा में प्रदूषण को रोकने और नियंत्रित करने से संबंधित मुद्दे प्रत्येक राज्य, नगर और जिले में उठाए जाएं।
झारखंड और बिहार के मुख्य मुद्दे:
- भूजल प्रदूषण: भूजल से प्रदूषण की रोकथाम।
- अपशिष्ट जल: अपशिष्ट जल को गंगा में छोड़ने की रोकथाम।
- अवैध रेत और पत्थर खनन: अवैध रेत और पत्थर खनन के खिलाफ कदम उठाने की आवश्यकता।
- डूब क्षेत्र पर अतिक्रमण: डूब क्षेत्रों में अतिक्रमण को रोकने के मामले को देखना।
- जलीय प्राणियों के लिए खतरा: जलीय प्राणियों के लिए जोखिम को देखना।
- नदी के मूल मार्ग में परिवर्तन: गंगा के मूल मार्ग में परिवर्तन की रोकथाम।
- प्रदूषण: गंगा में प्रदूषण के मुद्दे को संबोधित करना।
महत्वपूर्ण निर्देश: एनजीटी ने झारखंड के चार जिलाधिकारियों को और बिहार के 38 जिलाधिकारियों को इन मुद्दों के संबंध में रिपोर्ट बनाने के लिए निर्देश दिया है। इन रिपोर्ट्स को आठ सप्ताह के अंदर एनजीटी को सौंप देना है।
यह कदम गंगा नदी के स्वच्छता और संरक्षण के मुद्दों को उठाने के लिए महत्वपूर्ण है, और इसके माध्यम से प्रदूषण को कम करने का प्रयास किया जा रहा है।

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