आपने कभी इनके बनाए मडुआ के लड्डू खाए हैं ? अगर नहीं, तो कभी ज़रूर टेस्ट करें
झारखण्ड की संस्कृति जितनी खुबसूरत है, उतने ही दिलचस्प और मनभावन हैं यहां पारंपरिक व्यंजन. जी हां, प्रकृति ने यहां के लोगों, विशेष रूप से जंगलों के समीपवर्ती इलाकों में रहने वाले आदिवासियों को कई वनस्पतियां, कंद-मूल, फल-फूल इत्यादि उपहार-स्वरुप दिए हैं, जिनका अपने तरीके से प्रसंस्करण कर उन्हें स्वादिष्ट व्यंजन बनाने में महारत हासिल है. आपने कभी इनके बनाए मडुआ के लड्डू खाए हैं ? अगर नहीं, तो कभी ज़रूर टेस्ट करें. ये जनजातीय महोत्सवों, मेलों और ग्रामीण हाटों व फ़ूड फेस्टिवल्स में अक्सर उपलब्ध होते हैं. कभी उनके आतिथ्य का अवसर भी संयोग से मिल जाए, तो भी इनका स्वाद चखने को मिल सकता है.
कार्यक्रम दो दिन यानी 27-28 को आयोजित था। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में मुख्य प्रशिक्षक के रूप में साथी रोश ख़ाख़ा और आशीष कुजूर (गुमला) ने मुख्य भूमिका निभाई
इसी तरह खाद्य सामग्री निर्माण हेतु दो दिनी प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन लातेहार जिला क्षेत्र के महुआडांड़ प्रखंड स्थित अक्सी पंचायत के चेतमा में किया गया. इसमें ख़ास तौर पर खाद्य-सामग्री मड़ुआ व महुआ से विभिन्न प्रकार की खाद्य-सामग्री, यथा लड्डू आदि निर्माण के गुर सिखाए गए. इसमें 35 महिलाओं सहित 46 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम बहुत सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ।
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शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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