ईडी के चंगुल में फंसे कारोबारी प्रेम प्रकाश के हर दिन पुराने कारनामे सामने आ रहे हैं. कारनामे भी ऐसे कि हर कोई दंग रह जाए. सूत्रों के हवाले से जो दस्तावेज हाथ लगे हैं वह प्रेम प्रकाश के सत्ता से लेकर ब्यूरोक्रेट्स के बीच अंदरूनी दखल को खुलेआम जाहिर करते हैं. आखिर अंडे के व्यापार से किस तरह प्रेम प्रकाश शराब के कारोबार तक पहुंचा . आज भी उसके ऊपर सात करोड़ के शराब की रेवेन्यू बकाया है. लेकिन उसे वसूलने वाला विभाग मौन नजर आ रहा है.
बता दें, प्रेम प्रकाश नाम का शख्स पिछले कुछ दिनों पहले तक दुनिया की नजरों में एक अनजान चेहरा था. लेकिन ईडी की पकड़ में आने के बाद एक के बाद एक राज हर दिन उजागर हो रहे हैं. सूत्रों के हवाले से न्यूज 18 के हाथ जो दस्तावेज लगे हैं. वे बेहद संगीन हैं और इस बात की ओर इशारा करते हैं कि कुछ सालों पहले तक जिस प्रेम प्रकाश की पहचान मेसर्स किसान पॉल्ट्री फॉर्म के प्रोफराइटर तौर पर थी. वह अचानक शराब की दुनिया की बेताज बादशाह बन गया.
महंगी शराब पीने-पिलाने का शौकीन प्रेम शौकीन
महंगी शराब पीने और पिलाने के शौकीन कारोबारी प्रेम प्रकाश ने ब्यूरोक्रेट्स को भी जमकर महंगी शराब पिलाई और उस शराब के रेवेन्यू को खुलेआम दादागिरी कर डकार भी गया. ये हम नहीं कह रहे बल्कि सूत्रों के हवाले से जो दस्तावेज हाथ लगे हैं. वह इसकी ओर इशारा करते हैं. दरअसल 28 जुलाई 2018 को रांची के अरगोड़ा थाना के नाम से लिखी गयी एक अधूरी एफआईआर की कहानी काले कारनामों को बयां करती है. कहानी 2018 की है जब राज्य में शराब की बंदोबस्ती सरकार के हाथों में थी और उस समय प्रेम प्रकाश के हाथों में नौ जिलों में शराब बेचने की कमान थी. जिसमें रांची के अरगोड़ा चौक स्थित 010 FLX लाइसेंस वाली खुदरा शराब की दुकान की जांच की गयी और जांच के बाद रेवेन्यू को डकारने वाली जो सच्चाई सामने आयी.
जानें क्यों नहीं दर्ज हो पायी थी प्राथमिकी
इस मामले में रांची के अरगोड़ा थाने में प्राथमिकी दर्ज करने को लेकर एक आवेदन भी लिखा गया. 28 जुलाई 2018 को लिखे इस आवेदन पर तत्कालीन अवर निरीक्षक, उत्पाद प्रवीण कुमार चौधरी, JSBCL के तत्कालीन महाप्रबंधक सुधीर कुमार और तत्कालीन उत्पाद उपायुक्त गजेंद्र कुमार सिंह के हस्ताक्षर भी थे. बावजूद इसके एक एक बड़े अधिकारी की ओर से फोन आ जाने पर यह प्राथमिकी दर्ज नहीं हो सकी.
दस्तावेजों में छिपे ये सच !
* प्रेम प्रकाश पर अपने ही शराब दुकान से बिना पैसे के शराब ले जाने का आरोप
* 010 FLX खुदरा दुकान की जांच के दौरान डेली बिक्री पंजी में गड़बड़ी
* शराब के स्टॉक में पाया गया अंतर
* सात करोड़ की शराब बिना पैसे दिए ही गायब
* प्रेम प्रकाश और उनके कर्मियों द्वारा बिना पैसे दिए दबाव और दादागिरी कर ले जायी जाती थी शराब
* पंजी में बिना हस्ताक्षर कर ले जायी जाती थी शराब
* ज्यादातर गायब स्टॉक महंगी शऱाब के
* रेवेन्यू जमा करने की बात कहने पर चोरी छिपे ठिकाना बदलने की बात
इन लोगों ने भी दिया साथ
इस राज का पर्दाफाश सिर्फ इतने में ही नहीं होता. बल्कि दस्तावेज में कई नाम भी शामिल हैं जो बताते हैं कि प्रेम प्रकाश के साथ किन लोगों ने शराब की दुकान से महंगी शराबों को गायब करने में उसका साथ दिया.
* राज दीप, पिस्का मोड़, रांची
* गौरव, पिता- जनार्दन सिंह, 42 एजी कॉलोनी कडरू, थाना अरगोड़ा, रांची
* अनिल कुमार झा, पिता- महेश झा, हरमू रांची
* राजेश दत्ता, कोर्डिनेटर
* मंजीत, प्रेम प्रकाश का ड्राइवर
* विनय शंकर, प्रेम प्रकाश का ड्राइवर
* कामजीत सिंह, प्रेम प्रकाश का सरकारी अंगरक्षक
महंगी शराब के जाम की सजाई महफिल
सबसे बड़ी बात यह है कि प्राथमिकी में जिन बड़े अधिकारियों के हस्ताक्षर हैं. उनमें आज भी कई उत्पाद विभाग में बड़े पदों पर बैठे हैं. लेकिन, सवाल यह है कि कल तक जो अधिकारी प्राथमिकी करने पर आमादा था. आज वे अचानक से खामोश क्यों हो गये. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक प्रेम प्रकाश ने कई ब्यूरोक्रेट्स के साथ महंगी शराब की जाम के साथ महफिल सजाई. लेकिन सालों बाद भी सात करोड़ को वो महंगी शराब का रेवेन्यू सरकारी खजाने से अबतक दूर है.
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