झारखंड सरकार एक बार फिर शिव शंकर शर्मा की याचिकाओं को सुनने योग्य (मेंटेनेबल) माने जाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी. शिव शंकर शर्मा की खान आवंटन और शेल कंपनियों से जुड़ी दो याचिकाओं को शुक्रवार को झारखंड हाईकोर्ट ने सुनने योग्य माना था और कहा था कि अब इनकी मेरिट पर सुनवाई होगी. सर्वोच्च न्यायालय के 24 मई के फैसले के बाद झारखंड हाईकोर्ट में रिट याचिका 727 ऑफ 2022 और रिट याचिका 4290 ऑफ 2021 पर शुक्रवार को मेंटेनेबिलिटी पर फैसला आया. झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद ने याचिका को सुनने योग्य बताते हुए आगे की कार्यवाही शुरू करने का आदेश दिया.
इस बाबत सरकारी पक्ष की तरफ से हाईकोर्ट के फैसले का विरोध करते हुए कहा गया कि दोनों याचिकाओं की मेरिट पर सुनवाई वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और मुख्यमंत्री के पक्षकार मुकुल रोहतगी ने इंकार कर दिया था. इसके बाद महाधिवक्ता राजीव रंजन की ओर से कहा गया कि हम याचिकाओं की मेरिट में तब ही उपस्थित हो पायेंगे, जब तक सरकार के पक्षकार दोनों वकील उपस्थित नहीं हों. सरकार की तरफ से पहले 17 जून तक का समय मांगा गया था, जिससे अस्वीकृत कर दिया. कोर्ट ने कहा कि 10 जून को फिजिकल मोड में दोनों याचिकाओं समेत अरुण शर्मा की मनरेगा घोटाले से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई होगी. कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, मुकुल रोहतगी समेत अन्य सभी संबंधित पक्षकारों को उपस्थित रहने को कहा गया है.
इससे पहले भी इसी मामले पर सरकार ने दर्ज किया था एसएलपी
इस मामले में सरकार की तरफ से शीर्ष अदालत में स्पेशल लीव पीटिशन दायर किया गया था. सर्वोच्च न्यायालय में 20 मई को पहले ट्रिपल बेंच फिर 24 मई को डबल बेंच में सुनवाई हुई थी. सर्वोच्च न्यायालय ने 24 मई को हुई सुनवाई में मेंटेनेबिलिटी और शेल कंपनियों की वैधता पर झारखंड हाईकोर्ट से सुनवाई करने को कहा था. एसएलपी के जरिये शिव शंकर शर्मा की याचिकाओं को खारिज करने की अपील सरकार की तरफ से की गयी थी.
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