रांची के खलारी चुरी में भारत का दूसरा सबसे बड़ा भूमिगत कोयला खदान तैयार हो रहा है. यह खदान सीसीएल का है जिसे दो साल पहले आग लगने के बाद सील कर दिया गया था और कुछ दूसरे एरिया से कोयला निकाला जा रहा था लेकिन पूरी तरह से खदान चलाने के लिए सील एरिया को खोलना जरुरी था. सभी रिपोर्ट सकारात्मक आने के बाद से रेस्क्यू ऑपरेशन यहां शुरू कर दिया गया है. कोल इंडिया के लगभग 200 रेस्क्यू ट्रेंड कर्मी ऑपरेशन में लगाये गए हैं.
कई जीएम और साइंटिस्ट यहां कैंप कर रहे हैं. मंगलवार को सीएमडी भी यहां मौजूद रहेंगे. यहां बता दें कि ऑपरेशन खत्म होने और कुछ जरूरी औपचारिकता पूरा होते ही इस खदान से प्रति वर्ष 10 लाख टन से अधिक कोयला निकाला जा सकेगा. इससे अधिक पश्चिम बंगाल के झांझरा प्रोजेक्ट से ही कोयला निकलता है. यह प्रोजेक्ट सीसीएल की पायलट प्रोजेक्ट है जिसे दो साल पहले आउटसोर्सिंग कंपनी जाॅय माइनिंग के साथ मिलकर पूरी तरह अत्याधुनिक तकनीक से लैस किया गया है.
देश की पहली महिला माइनिंग इंजीनियर
आकांक्षा जब चुरी में योगदान दी थी तब देश की ऐसी पहली महिला माइनिंग इंजीनियर बन गई थी जो भूमिगत कोयला खदान में काम करने जा रही थीं. खबर चलने के बाद वह कोयला उद्योग में एक सेलिब्रिटी बन गई और पूरे देश में चर्चा का विषय बनी थीं. बाद में उन्होंने रेस्क्यू ट्रेनिंग कर देश की पहली महिला रेस्क्यू ट्रेंड अधिकारी बनने का गौरव हासिल कर लिया. आकांक्षा इस रेस्क्यू ऑपरेशन में अपना योगदान दे रही हैं और इस मामले में एक बार फिर आकांक्षा सुर्खियों में हैं.
क्या है चुरी में खास
रांची-चुरी कोल इंडिया का अति महत्वपूर्ण और सीसीएल का पायलट प्रोजेक्ट है. लगभग 500 करोड़ का पूंजी निवेश कर खदान में कैंटीन्यूअस माइनिंग मशीन लगाया है. यहां मैन राइडिंग व्हीकल चलाने के लिए लगभग 40 करोड़ रुपए खर्च कर मैन राइडिंग व्हीकल खरीदा गया है. डीजीएमएस का आदेश मिलते ही यह व्हीकल यहां चलने लगेगा. चुरी झारखंड का पहला और देश का दूसरा ऐसा खदान होगा जहां मैन राइडिंग व्हीकल चलेगा.
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