
झारखंड के सरकारी और निजी चिकित्सकों के डॉक्टर आज से हड़ताल पर जा सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 12 हजार चिकित्सक इलाज नहीं करेंगे। यह निर्णय आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) की ओर से लिया गया है। हड़ताल का मुख्य कारण है डॉक्टर्स के जमशेदपुर मेडिकल कॉलेज में हुई मारपीट के बाद सरकार के शिथिल रवैये और मेडिकल प्रोटेक्शन बिल के प्रति डॉक्टरों के विरोध का है।
पूरा मामला:
19 सितंबर को, जमशेदपुर मेडिकल कॉलेज के पीजी मेडिकल के छात्र डॉ कमलेश उरांव के साथ एक बच्चे के इलाज के दौरान मारपीट हुई थी। बच्ची की मौत के बाद, परिजनों और अन्य लोगों ने डॉक्टरों को इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया और उनके साथ मारपीट की। डॉक्टरों का कहना है कि इस मारपीट की घटना के बाद उन्हें सुरक्षा की गारंटी नहीं मिली और वे इसके परिणामस्वरूप हड़ताल का निर्णय ले रहे हैं।
डॉक्टरों की मांगें:
- सभी दोषियों की त्वरित गिरफ़्तारी करें और कठोर दंड दें।
- सभी मेडिकल कॉलेजइ में प्रतिनियुक्ति प्रशासनिक अधिकारी को हटाया जाए।
- प्रत्येक मेडिकल कॉलेज की देखरेख का अधिकार निदेशक, अधीक्षक और डीन के पास हो।
- मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू हो।
हड़ताल का प्रभाव:
22 सितंबर से शुरू होने वाली हड़ताल के दौरान, केवल इमर्जेंसी सेवाएं जारी रहेंगी और इलाज नहीं दिया जाएगा। यह हड़ताल झारखंड राज्य स्वास्थ्य सेवा संघ (झासा), जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन और निजी डॉक्टरों द्वारा समर्थन किया जा रहा है।

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