झारखंड सरकार के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग में ई-पॉश मशीन खर्चे का घर बन गयी है। सरकार ने लाभुकों को अनाज वितरण के लिए राज्य की जन वितरण प्रणाली के दुकानदारों को ई-पॉश मशीन दी है। व्यवस्था को पारदर्शी और ईमानदार बनाने के लिए इस मशीन की बहुत उपयोगिता है, लेकिन मशीन की पुरानी टेक्नोलॉजी (टूजी) के कारण यह उतना लाभकारी नहीं दिखाई देती है, जितना इसे होना चाहिए।
विधायक प्रदीप यादव ने उठाया था मामला
झारखंड विधानसभा के पिछले सत्र में यह मामला विधायक प्रदीप यादव ने उठाया था। ई-पॉश मशीन के लिए सरकार हर महीने 750 रुपए भाड़ा देती है। एक ई- पॉश मशीन का साल भर का किराया 9 हजार रुपए होता है। अर्थात एक-पॉश मशीन का पांच साल का किराया 45000 रुपए हो जाता है, जबकि इसकी कीमत 24 हजार रुपए है। 32500 ई-पॉश मशीन खरीदने में सरकार को 78 करोड़ रुपए खर्च होते। लेकिन 250 करोड़ रुपए खर्च करने पड़े। सरकार ने टू जी टेक्नोलॉजी को 4 जी में बदलने का फैसला भी लिया था, लेकिन आज तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है।
मशीन खरीदने से सरकार को होती बड़ी बचत
सरकार के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री रामेश्वर उरांव ने सदन में इस तथ्य को स्वीकारा भी है कि जेम पोर्टल पर ई-पॉश मशीन की दर 24,910 रुपए प्रति ई-पॉश है। यदि इस दर से नयी ई-पॉश मशीन खरीदी जाती तो सर्विस सपोर्ट की राशि के अतिरिक्त 78 करोड़ 67 लाख 54 हजार 451 रुपए अर्थात कुल राशि एक अरब 43 लाख चार हजार दो सौ सोलह रुपए मात्र की जरूरत होगी। विधानसभा में लंबी चर्चा के बावजूद आज भी ई-पॉश मशीन का मामला जस की तस है। इसके उपयोगकर्ताओं को भी मूल समस्या के निदान का इंतजार है। जन वितरण प्रणाली के दुकानदारों ने बताया कि अभी भी वे टू जी ई-पॉश मशीन का उपयोग कर रहे हैं। उन्हें 4 जी मशीन का इंतजार है।
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