झारखंड के गांवों को प्रखंडों व शहरों से जोड़ने के लिए 600 नए रूटों पर बसों व अन्य वाहन चलाए जाएंगे। इसकी तैयारी शउरू कर दी गई है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर परिवहन विभाग ने रूट चयन और बस ऑपरेटरों को छूट का प्रावधान तय कर लिया है। शर्तों के साथ रूटों की न्यूनतम लंबाई 70 किलोमीटर रखी गई है। इसे मूर्त रूप देने के लिए मुख्यमंत्री गांव गाड़ी योजना जल्द ही कैबिनेट की मंजूरी के बाद लागू होगी।
22 वर्षों बाद भी राज्य का परिवहन निगम नहीं
रूटों की संख्या और लंबाई आगे बढ़ाई भी जा सकती है। हालांकि पहले कम से कम 600 रूटों पर वाहन दौड़ाकर गांवों की शहर से कनेक्टिविटी बेहतर करने की दिशा में पहल होगी। झारखंड गठन के 22 वर्षों बाद भी राज्य का अपना परिवहन निगम नहीं है। इसके गठन की प्रक्रिया चल रही है। इस देरी का खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है।
न्यूनतम 70 किमी का रूट
योजना के अनुसार गांवों को प्रखंड और शहर से जोड़ने के लिये न्यूनतम 70 किलोमीटर के रूट तय किए जाएंगे। इसमें कुछ शर्त और सहूलियत भी जुड़ी होंगी। सत्तर किमी के रूट का 50 फीसदी या 30 किमी से कम हिस्सा राष्ट्रीय राजमार्ग या राजकीय राजमार्ग पर होना चाहिए। यह शर्त रूट का अधिक से अधिक हिस्सा ग्रामीण कवरेज हो, इस उद्देश्य से तय की गई है।
स्थानीय को प्राथमिकता तय रूटों पर बस चलाने की जिम्मेदारी प्राथमिकता के आधार पर स्थानीय को दी जाएगी। इससे रोजगार के अवसर मिलेंगे। वह मुख्यमंत्री स्वरोगार योजना से बस या अन्य वाहन खरीदकर तय रूटों पर चला सकेंगे।
इन्हें किराए में मिलेगी छूट
राज्य के वृद्ध नागरिक, पेंशन लाभुक महिलाएं, एड्स पीड़ित मरीज, 40 प्रतिशत तक दिव्यांग, झारखंड आंदोलनकारियों को किराया में छूट मिलेगी। म् नियमावली में इसका प्रावधान किया जाएगा।
सात से 42 सीटर वाहन
वाहन सुरक्षा मानकों पर जारी फिटनेस सर्टिफिकेट के आधार पर ही चलाई जा सकेंगी। लेकिन, 12 साल पुराने वाहन के लिए वैकल्पिक इंतजाम भी किए जाएंगे। वाहन सात से 42 सीट के हो सकते हैं।
पांच साल रोड टैक्स माफ
योजना के तहत तय रूट पर बस चलाने वालों को पांच सल रोड टैक्स माफ करने का प्रावधान किया गया है। रूट परमिट और रोड फीस दोनों एक रुपए के टोकन शुल्क पर दिया जाएगा।
हिन्दुस्तान ने जुलाई में चलाया था अभियान
आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने सबसे पहले बस और इसी तरह की अन्य सार्वजनिक परिवहन सेवा से वंचित गांवों को लेकर एक अभियान चलाया था। 6 और 7 जुलाई को चले इस अभियान में हमने झारखंड के उन गांवों के लोगों की पीड़ा को उजागर किया जिन्हें 20 से 25 किलोमीटर पैदल चलने के बाद जिला मुख्यालय तक जाने के लिए बस की सेवा मिल पाती है। इस अभियान पर राज्य सरकार ने संज्ञान लिया।
रूट तय करेगी प्रखंड स्तरीय समिति
रूट तय करने के लिए प्रखंड स्तरीय समिति का गठन होगा। इसमें प्रमुख, बीडीओ शामिल होंगे। प्रखंड स्तरीय समिति की अनुशंसा के आधार पर डीसी की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति मोटर व्हीकल एक्ट के तहत रूट तय करने के लिए परिवहन विभाग को प्रस्ताव भेजेगी।
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