कोल्हान विवि के कुलपति प्रो. गंगाधर पंडा के खिलाफ उत्तर प्रदेश में प्राथमिकी दर्ज होने की खबर के बाद अब कोल्हान विश्वविद्यालय में प्रतिकुलपति के झारखंड सरकार के निर्देशों का उल्लंघन कर अधिक वेतन लेने का मामला सामने आया है। इससे विश्वविद्यालय एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गया है।
प्रतिकुलपति के वेतन भुगतान में नियम का उल्लंघन करने के मामले में कुलपति, विवि के वित्त परामर्शी की अनुशंसा को लेकर जहां वे भी विवादों के घेरे में आ रहे हैं, वहीं राज्य सरकार के मानव संसाधन विभाग की लापरवाही और लेटलतीफी भी सामने आ रही है। इस मामले में विश्वविद्यालय के वित्त विभाग ने प्रतिकुलपति के वेतन पर रोक लगा दिया था, लेकिन बताया जाता है कि वित्त परामर्शी की अनुशंसा पर कुलपति ने इसे अप्रूवल दिया था। सिंडिकेट की बैठक में भी यह मामला आया और सिंडिकेट ने प्रतिकुलपति को वेतन का निर्धारण कराकर लाने के लिए छह माह का समय दिया था। चार माह बीत गए, लेकिन अबतक कुछ नहीं हुआ। वेतन निर्धारण के लिए मानव संसाधन विभाग को भी पत्र भेजा गया है, लेकिन वहां भी मामला लंबित है।
प्रति कुलपति को अधिक वेतन भुगतान हो रहा
इधर, प्रति कुलपति को अधिक भुगतान हो रहा है। अगर वेतन निर्धारण के बाद प्रतिकुलपति को अधिक भुगतान हुआ होगा तो अधिक पैसा उन्हें लौटाना होगा, वरना यह विश्वविद्यालय की जिम्मेवारी बन जाएगी। इस आशय का पत्र मानव संसाधन विभाग विश्वविद्यालय को दे चुका है। इस संबंध में जब यहां के प्रतिकुलपति डॉ. अरुण कुमार सिन्हा से उनके मोबाइल पर संपर्क कर बात करने की कोशिश की गई तो बैठक में होने की बात कहकर उन्होंने बात नहीं की। कुलपति डॉ. गंगाधर पांडा से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होने फोन नहीं रिसीव किया। सूत्रों से पता चला कि वे अवकाश पर हैं ।
वित्त पदाधिकारी ने भी कुछ बोलने से मना कर दिया। सूत्रों की मानें तो नियम का उल्लंघन कर प्रतिकुलपति 20 लाख से अधिक भुगतान अबतक ले चुके हैं। इस संबंध में विश्वविद्यालय के वित्त सलाहकार आरके वर्मा ने बताया कि इसमें कोई गड़बड़ी नहीं हो रही है। प्रतिकुलपति के एलपीसी (लास्ट पे सर्टिफिकेट) से पेंशन की राशि घटाकर उन्हें भुगतान किया जा रहा है। कुछ लोग इसे वेवजह इश्यू बना रहे हैं।
क्या है मामला ?
प्रतिकुलपति डॉ. अरुण कुमार सिन्हा कोल्हान विश्वविद्यालय में पदस्थापित होने के पहले उत्तर प्रदेश के लखनऊ में एक संस्थान में चीफ साइंटिस्ट थे। उन्होंने 11 जुलाई 2020 को कोल्हान विश्वविद्यालय में प्रतिकुलपति के पद पर योगदान किया था। इसके पहले वे लखनऊ के जिस संस्थान में कार्यरत थे, वहां उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। उक्त संस्थान ने 10 जुलाई से उन्हें सेवानिवृत्त मानते हुए उनकी पेंशन 1 लाख 5 हजार 900 रुपये निर्धारित की थी। कोल्हान विश्वविद्यालय में नियुक्ति के बाद मानव संसाधन विभाग ने उनका वेतन 1 लाख 44 हजार 200 रुपये निर्धरित करते हुए, उसमें से पेंशन के रूप में मिलने वाली राशि को घटाकर भुगतान करने का आदेश दिया था।
लेकिन, प्रतिकुलपति जिस संस्थान में कार्यरत थे, वहां का अंतिम वेतन विपत्र 2 लाख 11 हजार 800 रुपये प्रस्तुत कर उसमें से पेंशन की राशि घटाकर भुगतान लेना शुरू कर दिया। नियम विरुद्ध अधिक राशि का भुगतान लेने के कारण विश्वविद्यालय के वित्त विभाग ने उनके वेतन पर रोक लगा दी तो उन्होंने विश्वविद्यालय पर दबाव बनाकर अधिक वेतन लेना शुरू कर दिया। उच्च शिक्षा के निदेशक द्वारा पत्र भेज कर स्पष्ट रूप से विश्वविद्यालय को बताया गया कि यदि पेंशन की राशि घटाकर प्रतिकुलपति को भुगतान नहीं किया जाता है तो आने वाले दिनों में इसकी जिम्मेदारी विश्वविद्यालय की होगी।
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