बार कौंसिल ऑफ इंडिया ने वकीलों की प्रैक्टिस और सत्यापन को अनिवार्य कर दिया है। फिर भी राज्य के वकील सत्यापन नहीं करा रहे हैं। इसके लिए वकील अलग-अलग दलीलें दे रहे हैं। प्रमाण-पत्र फट जाने और नहीं मिलने की दलील कर सत्यापन से छूट चाह रहे हैं। प्रैक्टिस की अवधि को आधार मानकर ही सत्यापन करने का आग्रह बार कौंसिल से कर रहे हैं। इसके लिए कुछ वकीलों ने आवेदन दिए हैं, तो कुछ संबंधित बार संघ से छूट देने का आग्रह कर रहे हैं। लेकिन झारखंड बार कौंसिल ने वकीलों को आगाह किया है।
बार कौंसिल ने चेताया
राज्य के वकीलों का सत्यापन कार्य पूरा नहीं होने पर बार कौंसिल ऑफ इंडिया ने झारखंड बार कौंसिल को छह माह का अवधि विस्तार दिया है और स्पष्ट किया है कि इसके बाद अवधि विस्तार नहीं दिया जाएगा। सत्यापन के बाद अगले साल चार जनवरी तक बार कौंसिल का चुनाव कराने का निर्देश दिया है। चुनाव नहीं होने पर बार कौंसिल की वर्तमान कमेटी भंग कर विशेष कमेटी का गठन करने की बात बार कौंसिल ने कही है। झारखंड बार कौंसिल का कार्यकाल 28 जुलाई को समाप्त हो रहा था।
200 वकीलों ने अपना लाइसेंस निलंबित कराया
झारखंड बार कौंसिल की दो जुलाई को हुई बैठक में सभी वकीलों को एक माह के अंदर सत्यापन कराने का अंतिम मौका दिया है। जिन वकीलों ने अभी तक सत्यापन नहीं कराया है उन्हें दो हजार जुर्माने के साथ फॉर्म भरने का निर्देश दिया है। सत्यापन नहीं कराने वाले चुनाव में हिस्सा नहीं लेंगे और उनकी प्रैक्टिस पर रोक भी लगाई जा सकती है। राज्य में करीब 35 हजार वकील हैं। इनमें 1,65,00 ने सत्यापन का फॉर्म लिया था। दस हजार का सत्यापन हो गया। 6500 ने फॉर्म लेने के बाद जमा नहीं किया है। 800 वकीलों ने सत्यापन का फॉर्म ही नहीं लिया है जबकि 200 वकीलों ने अपना लाइसेंस निलंबित कराया है।
वकीलों के लिए सत्यापन अनिवार्य
झारखंड बार कौंसिल के उपाध्यक्ष राजेश कुमार शुक्ल ने कहा कि राज्य के वकीलों को एक माह के अंदर दो हजार रुपये के फाइन के साथ सत्यापन कराना अनिवार्य है। इसके बाद सत्यापन का मौका नहीं मिलेगा। बार कौंसिल ऑफ इंडिया ने पूरे देश के वकीलों के सत्यापन को अनिवार्य किया है और इसका गजट प्रकाशन भी हो गया है। सत्यापन नहीं होने पर वकील बार कौंसिल के चुनाव में मतदान करने के अधिकार से वंचि हो जाएंगे और उनकी प्रैक्टिस पर रोक भी लगायी जा सकती है।
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