चाईबासा के आकाश की पढ़ाई 3 साल पहले परिवार की आर्थिक तंगी के कारण छूट गई थी। घर चलाने के लिए आकाश चाईबासा में ताम्बो चौक के पास झालमुड़ी बेच रहा था। इस बच्चे पर आईपीएस प्रोबेशनरी सुमित अग्रवाल की नजर पड़ी। जब उन्हें पता चला कि बच्चा पढ़ना चाहता है मगर आर्थिक तंगी की वजह से उसकी पढ़ाई छूट गई है तो उन्होंने इस मामले को उपायुक्त के संज्ञान में डाला। कहा कि बच्चा पढ़ना चाहता है। उसके अंदर पढ़ने की इच्छाशक्ति है। अगर कुछ हो सकता है तो किया जाये। इसके बाद दोनों पदाधिकारियों की पहल पर बच्चे का नामांकन उत्क्रमित मध्य विद्यालय टेकासाई में कक्षा 6 में गुरुवार को करा दिया गया। साथ ही साथ किताबें और स्कूल बैग भी उसे उपलब्ध कराए गये हैं। गुरुवार से आकाश ने स्कूल जाना शुरू कर दिया है।
कोरोनाकाल में आर्थिक तंगी के कारण आकाश की छूट गयी थी पढ़ाई
12 साल के आकाश के पिता पेशे से ड्राइवर हैं। वो बिहार के नवादा में रहते हैं। कोरोनाकाल में परिवार के समक्ष आर्थिक संकट आ गया। इस कारण आकाश की पढ़ाई छुड़ा दी गयी। कुछ माह पहले ही आकाश चाईबासा में अपने चाचा दिलीप साव के पास आकर रहने लगा। यहां चाचा के साथ ताम्बो चौक पर झालमुड़ी बेचने लगा।
जब आइपीएस ने पूछा, पढ़ना चाहते हो आकाश
बकौल दिलीप, ‘मेरी तीन बेटियां हैं। तीनों छोटी हैं। आकाश को अपने साथ चाईबासा तो ले आया मगर पढ़ाने की हिम्मत नहीं थी। इस कारण विद्यालय में नामांकन नहीं करा पाया। मंगलवार को मेरी दुकान पर एक बड़े साहब आये। आकाश ने उन्हें झालमुड़ी बनाकर दी। खाते-खाते उन्होंने आकाश से बातचीत शुरू की। इसी क्रम में पता चला कि आकाश की तीन साल से पढ़ाई छूटी हुई है। यह सुनकर उन्होंने पूछा, ‘पढ़ाई करना चाहते हो आकाश’। यह सुनकर आकाश ने हां में सिर हिला दिया। बुधवार को शिक्षा विभाग के एक पदाधिकारी ने आकर सारी जानकारी लेने के बाद आकाश का नामांकन उत्क्रमित मध्य विद्यालय टेकासाई में छठी कक्षा में करा दिया। गुरुवार को आकाश स्कूल भी गया। हालांकि अभी उसे स्कूल ड्रेस नहीं मिली है’।
शिक्षा सभी का मौलिक अधिकार है। कोई भी बच्चा इससे वंचित नहीं रहना चाहिए। झालमुड़ी खाने के दौरान जब मुझे आकाश की स्थिति के बारे में पता चला तो उपायुक्त अनन्य मित्तल को उसके बारे में बताया। उपायुक्त ने दो दिन में ही शिक्षा विभाग से बात कर उसका नामांकन करा दिया है। बच्चे में पढ़ने की इच्छाशक्ति दिखाई देती है। इसी ने मुझे पहल करने के लिए प्रेरित किया।
सुमित अग्रवाल, प्रोबेशनरी आइपीएस, चाईबासा
प्रोबेशनरी आइपीएस सुमित ने मुझे बच्चे के बारे में बताया और फोटो शेयर की। मैंने जिला शिक्षा अधीक्षक को बच्चे का नामांकन तत्काल करते हुए उसकी पढ़ाई सुनिश्चित कराने को कहा। यह एक छोटा मगर महत्वपूर्ण प्रयास रहा। हम अपने आसपास कोई भी समस्या देखें तो उसे दुरुस्त करने की तुरंत कोशिश करें तो नतीजे सकारात्मक आते ही हैं।
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