
अटल टिंकरिंग लैब के शिक्षक बी के सिंह ने बताया कि, “25 अक्टूबर को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगा था।अब 8 नवंबर को पूर्ण चंद्र ग्रहण था।यह एक खगोलीय घटना है। पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूम रही है और चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर चक्कर काट रही है।इसी क्रम में एक समय ऐसा आता जब पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के बीच में आ जाती है और तीनों के एक सीध में होने के कारण चंद्रमा तक सूर्य की रोशनी नहीं पहुंच पाती, ऐसी घटना को चंद्र ग्रहण कहा जाता है।”
इसमें विद्यालय के छात्र राहुल सिन्हा, प्रियांशु गोस्वामी, सम्राट बोस, आर्यन, आयुष अर्पित एवं अन्य छात्र शामिल थे।विद्यालय में चंद्र ग्रहण का क्लियर विजन लिया गया।शिक्षक ने बताया कि सूर्य ग्रहण चंद्र ग्रहण से अलग होता है। इसे नंगी आंखों से देखा जा सकता है। इसके लिए किसी प्रकार के प्रोटेक्टिव फिल्टर्स की जरूरत नहीं पड़ती है।विद्यालय के शिक्षक बालकिशोर सिंह, बैद्यनाथ ग्रहचार्य एवं मनीष कुमार ने बताया कि इस तरह के खगोलीय घटना को छात्रों को दिखा कर उन्हें खगोलशास्त्र, ऐस्ट्रो फिजिक्स जैसे विषयों में छात्र की रुचि विद्यालय स्तर में ही विकसित किया जा सकता है ।
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