झारखंड के चाईबासा में आज फिर कोल्हान देश की मांग लेकर युवाओं को दिग्भ्रमित करते हुए नियुक्ति पत्र बांटने का मामला सामने में आया, जिसके बाद जिला प्रशासन ने चार लोगों को गिरफ्तार किया l पश्चिम सिंहभूम जिला के मुफस्सिल थाना इलाके के लादूरा गांव में कोल्हान गवर्नमेंट ईस्टेट के तहत लगभग 50 युवक-युवतियों की कथित तौर पर सुरक्षा बल में नियुक्ति दी जा रही थी l इस सूचना पर पुलिस की टीम ने लादूरा गांव पहुंचकर कार्रवाई की l 4 युवकों को गिरफ्तार किया l
क्या है मामला ?
चाईबासा में अलग कोल्हान देश की मांग करने वाले और गैर कानूनी तरीके से नियुक्ति पत्र बांटने के मामले में पुलिस ने 4 लोगों को गिरफ्तार किया l पुलिस के इस कदम से बवाल मच गया l गिरफ्तारी से गुस्साये ग्रामीणों ने मुफ्फसिल थाने का घेराव किया l 100 से ज्यादा लोग परंपरागत हथियारों से लैस होकर थाना पहुंचे l
जानकारी के मुताबिक उग्र ग्रामीणों ने पुलिस पर पत्थरों और लाठी डंडे से हमला कर दिया है l इस हमले में कई पुलिसकर्मी जख्मी हुए हैं l जवाब में पुलिस ने ग्रामीणों पर आंसू गैस के गोले छोड़े हैं और लाठीचार्ज भी किया है lयुवकों की गिरफ्तारी की जानकारी ग्रामीणों को जैसे मिली, सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण पारंपरिक हथियार के साथ मुफस्सिल थाना का घेराव करने पहुंच गये l ग्रामीणों की मांग है कि पुलिस के द्वारा पकड़ कर लाए चार लोगों को रिहा किया जाए l
हालांकि प्रशासनिक पदाधिकारी मामले को लेकर ग्रामीणों से वार्ता कर रहे है. इसके बावजूद ग्रामीण मानने को तैयार नहीं हैं l बारिश के बावजूद ग्रामीण नेशनल हाईवे को जाम कर गिरफ्तार युवकों को छोड़ने की मांग कर रहे हैं. सूचना के मुताबिक भीड़ को हटाने के लिए पुलिस द्वारा हल्का बल का प्रयोग किया गया है l
संयुक्त राष्ट्र तक पहुंची थी मांग
कोल्हान आंदोलन पर किताब लिख चुके वरिष्ठ पत्रकार अनुज कुमार सिन्हा ने बीबीसी को बताया कि साल 1981 में कोल्हान रक्षा संघ से जुड़े नारायण जोनको, आनंद टोपनो और अश्विनी सवैयां इस मामले को लेकर लंदन और जिनेवा भी गए थे l
लंदन में इन लोगों ने राष्ट्रमंडल के सदस्य देशों के प्रतिनिधियों को अपने तर्कों से संबंधित दस्तावेज सौंपा और विल्किंसन रूल के तहत कोल्हान को अलग देश का दर्जा देने की मांग की l तब इन लोगों ने राष्ट्रमंडल देशों के प्रतिनिधियों से 2 दिसंबर 1981 को चाईबासा पहुंचने की अपील की ताकि वे कोल्हान देश की विधिवत घोषणा कर सकें l
चाईबासा इलाके में कोल्हानिस्तान नाम से एक अलगाववादी आंदोलन को हवा दी जा रही
इसकी खबर मिलते ही तत्कालीन भारत सरकार सक्रिय हुई और लंदन से वापस लौटते ही नवंबर 1981 में आनंद टोपनो और अश्विनी सवैयां को गिरफ्तार कर चाईबासा जेल में डाल दिया l पुलिस तब नारायण जोनको और के सी हेंब्रम को गिरफ्तार नहीं कर पायी l इन सबके खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज कराया गया l 30 जुलाई 1984 को भारत की तत्कालीन गृह राज्यमंत्री रामदुलारी सिन्हा ने लोकसभा में स्वीकार किया कि बिहार के चाईबासा इलाके में कोल्हानिस्तान नाम से एक अलगाववादी आंदोलन को हवा दी जा रही है l
इसके बाद कई गोलीकांड हुए और कोल्हान रक्षा संघ और भारत सरकार के प्रशासनिक अधिकारियों के बीच परस्पर पर्चेबाजी भी हुई l तब नारायण जोनको ने कोल्हान विश्विद्यालय की संबद्धता आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से भी कराने की बात प्रचारित की l लेकिन, बाद के दिनों में यह आंदोलन कुंद पड़ गया l
इसके बाद कभी-कभार अचानक से कोई नेता इस मामले को उठाता है और कोल्हान देश की चर्चा होने लगती है l रामो बिरुवा का मामला इसी का उदाहरण है l
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