झारखंड सरकार द्वारा अबुआ वीर दिशोम वनाधिकार अभियान का आयोजन करने का फैसला बड़ा महत्वपूर्ण है। इस अभियान के माध्यम से, जंगल में निवास करने वाले लोगों को वनपट्टा देने का प्रयास किया जाएगा, जिससे उन्हें वन क्षेत्र में अधिकार प्राप्त हो सकेगा। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जिससे झारखंड के अधिकारी और नागरिकों के बीच समृद्धि और सामाजिक न्याय की दिशा में कदम बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।
इस अभियान के अंतर्गत, वन क्षेत्र के गांवों में वनाधिकार समितियां (एफआरसी), अनुमंडल स्तरीय वनाधिकार समितियां (एसडीएलसी) और जिलास्तरीय वनाधिकार समितियां (डीएलसी) की स्थापना की जाएगी, जिससे उन लोगों की पहचान की जा सके जो अब भी वनपट्टा से वंचित हैं। इसके साथ ही, सरकार ने अधिकारियों को यह निर्देश दिया है कि किसी भी व्यक्ति को उनके वनपट्टा के अधिकार से वंचित नहीं रखा जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस अभियान के माध्यम से गरीब, पिछड़ों, आदिवासी, मूलवासी, और भूमिहीन लोगों के लिए एक नई आशा की बात की है और उनके अधिकारों को प्राप्त कराने का संकल्प लिया है। वनाधिकार कानून 2006 के अंतर्गत, इसका लक्ष्य है वन क्षेत्र में निवास करने वाले लोगों को उनके अधिकार की जागरूकता प्रदान करना और उन्हें वनपट्टा देना।
इस अभियान के माध्यम से सरकार का उद्देश्य सामाजिक न्याय को प्रोत्साहित करना और झारखंड के जंगल में निवास करने वाले लोगों को उनके अधिकार की सुनिश्चिती देना है।
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