मतदाताओं के लिए आधार संख्या को मतदाता सूची से जोड़ना अब स्वैच्छिक हो गया है, इसकी पुष्टि चुनाव आयोग ने की है। आधार पंजीकरण (संशोधन) नियम 2022 के तहत, चुनावी प्रक्रिया में आधार संख्या को जोड़ने की प्रक्रिया स्वैच्छिक बन गई है।
इसके परिणामस्वरूप, नागरिकों को अब अपने मतदाता पंजीकरण के दौरान आधार संख्या प्रदान करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट के साथ चुनाव आयोग द्वारा लिया गया है।
मतदाताओं के लिए आधार संख्या जोड़ने के संबंध में दायर रिट याचिका में उठाए गए आरोपों के तहत, चुनाव आयोग के अधिकारियों ने मतदाताओं से आधार संख्या एकत्र करने के लिए दबाव डालने का आरोप लगाया गया था। चुनाव आयोग का दावा था कि यह कदम स्वैच्छिक है और आधार विवरण जमा करना अनिवार्य नहीं है।
इस संदर्भ में, चुनाव आयोग ने शीर्ष अदालत के समक्ष बताया है कि वे “फॉर्म में स्पष्टीकरण परिवर्तन” की प्रक्रिया पर विचार कर रहे हैं, क्योंकि 2022 के नियम 26-बी के तहत आधार संख्या जमा करना अनिवार्य नहीं है।
इस नई तथा महत्वपूर्ण निर्णय के साथ, नागरिकों को अब अपने मतदाता पंजीकरण प्रक्रिया के दौरान आधार संख्या प्रदान करने की अब कोई आवश्यकता नहीं है। चुनाव आयोग द्वारा जारी किए गए निर्देशों के अनुसार, नागरिक अपनी स्वतंत्रता के साथ चुनावी प्रक्रिया में भाग ले सकते हैं, बिना आधार संख्या के प्रदान किए।
यह निर्णय चुनाव प्रक्रिया को सांविदानिकता और सुविधाजनकता के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जा रहा है और नागरिकों के लिए सुविधा प्रदान करने का काम करेगा।
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