दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस से पीड़ित एक शख्स को 50 हजार रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया है, क्योंकि पुलिस ने उसे बिना किसी वजह के आधे घंटे तक हिरासत में रखा था। यह मामला पिछले साल सितंबर में दिल्ली के बदरपुर पुलिस स्टेशन में हुआ था, जब एक महिला को सब्जी वाले ने चाकू से मारा था।
जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने दिल्ली पुलिस को यह आदेश दिया कि मुआवजा उन दोनों सब इंस्पेक्टरों की सैलरी से काटा जाए, जिन्होंने पीड़ित व्यक्ति को लाया और बिना किसी कानूनी प्रक्रिया का पालन किए उसे लॉकअप में डाला था।
जस्टिस प्रसाद ने कहा कि इस आदेश का मकसद यह है कि अधिकारियों को समझ में आए कि पुलिस अधिकारी खुद कानून बन नहीं सकते और वे अवश्य कानूनी प्रक्रिया का पालन करें।
याचिकाकर्ता पीड़ित शख्स ने कहा कि उसे बिना किसी गिरफ्तारी के लॉकअप में डाला गया था, और इससे उसके संवैधानिक और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ था।
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि पीड़ित को इस तरह की सजा मिलना जरूरी है, ताकि दूसरे लोगों को भी सबक मिले और यह संदेश दिया जा सके कि पुलिस अधिकारी कानून से ऊपर नहीं होते।
इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस अधिकारियों की आलोचना की है और कहा है कि पुलिस अधिकारी नागरिकों के साथ ऐसा व्यवहार कर रहे हैं, जैसे वे कानून से ऊपर हों।
यह मामला दिखाता है कि कानूनी प्रक्रिया का पालन करना हर किसी के लिए महत्वपूर्ण है और किसी को बिना किसी वजह के हिरासत में डालना गलत होता है।
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