दिल्ली हाईकोर्ट के गेट नंबर 5 के बाहर 12 साल पहले सात सितंबर के दिन सूटकेस में रखे बम में हुए विस्फोट में 17 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 79 लोग घायल हुए थे. यह आतंकवादी घटना थी. इस धमाके की जिम्मेदारी आतंकवादी संगठन हरकत उल जिहाद अल इस्लामी (हूजी) ने ली थी. इस तरह साल 2011 की इस आतंकवादी घटना के बाद सात सितम्बर की तारीख एक दर्दनाक याद के रूप में इतिहास में दर्ज हो गई.
परिवार हर साल मृतकों को श्रद्धांजलि देने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में इकट्ठा होते
इस हादसे में अपनों को खोने वाले परिवार हर साल मृतकों को श्रद्धांजलि देने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में इकट्ठा होते हैं और भीगी पलकों से उनका नाम लेते हैं, जो अब सिर्फ उनकी यादों में जिंदा हैं. कुछ समय पहले हाईकोर्ट की तरफ से बम धमाके में मारे गए 15 लोगों के नाम की एक तख्ती भी लगाई गई थी. टेरर विक्टिम्स को आर्थिक सहायता पहुंचाने के लिए अपने एनजीओ के माध्यम से काम करने वाले अशोक रंधावा ने कुछ समय पहले बताया था कि ब्लास्ट में जिन लोगों ने अपनी जान गंवाई, उनके परिजनों को सरकारी नौकरी का वादा पूरा नहीं हुआ है. जबकि हादसे में मृतकों के परिजनों के लिए जिस मुआवजे का ऐलान हुआ था उसे लेने में भी पीड़ित परिवारों को कई सालों का वक्त लगा गया.
7 सितंबर 2011 को जब वो धमाका
वहीं उस खौफनाक हादसे में घायल हुए 79 लोगों में से बहुत सारे ऐसे गंभीर रूप से घायल हुए थे जो पूरी जिंदगी के लिए विकलांग हो गए हैं. हाईकोर्ट में हुए हादसे के बाद सुरक्षा व्यवस्था को आज और भी चाक चौबंद कर दिया गया है. हाईकोर्ट के जिस चार और पांच नंबर गेट पर धमाका हुआ था, उसके आस-पास कुछ जवान तैनात रहते हैं. 7 सितंबर 2011 को जब वो धमाका हुआ था तब करीब 200 लोगों की भीड़ कोर्ट में अंदर जाने के लिए अपना पास बनवाने के लिए लाइन में लगी थी.
हादसे के पीड़ितों का कहना है कि ब्लास्ट के बाद कोर्ट प्रशासन और सरकार ने सबक लेते हुए हाईकोर्ट की सुरक्षा को तो चाक-चौबंद कर दिया लेकिन विस्फोट में मारे गए लोगों के परिवारों की दुश्वारियां अभी भी वैसी ही बनी हुई हैं.
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