पटना में बेली रोड पर बुधवार को दिन के करीब दो बजे हाईकोर्ट की वकील प्रियम कुमारी से ऑटो गैंग ने सोने की चेन, अंगूठी और कान की बाली लूट ली। विरोध करने पर उस ऑटो में सवार तीन अपराधियों ने जान से मारने की धमकी दी। यहां तक की उनकी बच्ची का गला दबाने लगे। इसके बाद तीनों आरोपी हाईकोर्ट के पास ऑटो से उतरकर भाग निकले। लूटे गए गहने की कीमत करीब डेढ़ लाख है।
प्रियम पूर्वी पटेलनगर के आदर्श नगर में रहती हैं। वहीं, कुछ दिन पहले हाईकोर्ट की ही वकील चंदना के साथ जगदेवपथ पर ऑटो गैंग ने मारपीट और लूटपाट की थी। चंदना ने वहां खड़े ट्रैफिक पुलिस से मदद मांगी तो उसने घर जाने को कहा। उनकी हालत इतनी खराब हो गई थी कि वह थाने नहीं जा सकीं। बिहार फेडरेशन ऑफ वीमेन लॉयर्स ने गुरुवार को हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दोनों महिला वकीलों के साथ हुई घटना की जानकारी दी। हाईकोर्ट ने इसपर संज्ञान लेते हुए तल्ख टिप्पणी की। हाईकोर्ट ने कहा कि जब महिला वकीलों के साथ ऐसा हो रहा है तो आमलोगों के साथ क्या होता होगा? कोर्ट ने एसएसपी और कोतवाली थानेदार को तलब किया।
कोर्ट ने कहा- 18 सितंबर तक पेश करें कार्रवाई की रिपोर्ट
गुरुवार की दोपहर 02.15 बजे मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की खंडपीठ के समक्ष एसएसपी और थाना प्रभारी उपस्थित हुए। कोर्ट ने एसएसपी से कहा कि महिला वकीलों को सीसीटीवी फुटेज दिखाया जाए और उसके आधार पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट 18 सितंबर को पेश करें। हाईकोर्ट के आदेश के बाद पीड़ित महिला वकील डायल 100 में गई, वहां उन्हें फुटेज दिखाया गया। कोतवाली थानेदार संजीत कुमार ने बताया कि पुलिस ऑटो गैंग को गिरफ्तार करने में लगी है। वहीं एयरपोर्ट थानेदार विनोद पीटर ने कहा कि चंदना की ओर से केस दर्ज नहीं कराया गया है।
पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया, SSB में तीन घंटे तक बैठाकर रखा
प्रियम की तीन साल की एक बेटी है। रोजाना बच्ची को हाईकोर्ट के क्रेच में रखकर वह अपना काम निपटाती हैं। बुधवार को वह बच्ची को लेकर हाईकोर्ट के गेट नंबर दो से निकलीं। ऑटो पकड़ा। उसमें चालक के अलावा दो और युवक पहले से सवार थे। ऑटो कुछ आगे बढ़ा तो चालक ने यूटर्न लिया और बोरिंग रोड की ओर जाने लगा। जबकि प्रियम को राजवंशीनगर जाना था। प्रियम ने विरोध किया तो तीनों जान से मारने की धमकी देने लगे और बच्ची का गला दबाने लगे। फिर लुटेरों ने उन्हें उतार दिया। उसके बाद बच्ची को लेकर वह कोतवाली थाने पहुंचीं।
प्रियम ने सुनवाई के दौरान कहा कि कोतवाली थाने ने FIR दर्ज नहीं की और एसएसपी कार्यालय जाने को कहा। वहां जाने पर तीन घंटे बैठाकर रखा गया। बाद में कहा गया कि सर्वर डाउन है इसलिए सीसीटीवी फुटेज नहीं दिखा सकते हैं। मामले पर सुनवाई के बाद महाधिवक्ता पीके शाही के हस्तक्षेप के बाद FIR दर्ज की गई। इस मामले पर 18 सितंबर को एक बार फिर से सुनवाई होगी।
बार काउंसिल के सदस्य बोले- महिला अगर मदद मांगे तो तत्काल कार्रवाई हो
इधर, बिहार बार काउंसिल के सदस्य वरीय अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा ने घटना की निंदा की और कहा कि ऑटो रिक्शा में ओवरलोडिंग पर तुरंत रोक लगनी चाहिए। ट्रैफिक पुलिस को यह निर्देश दिया जाना चाहिए कि महिला अगर मदद मांगे तो तो उस पर वह तत्काल कार्रवाई करे। ऑटो रिक्शा से चलने वाली महिलाओं को सुरक्षा देने की गारंटी पुलिस प्रशासन को लेनी चाहिए।
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