12 साल का केतन बात-बात पर हिंसक हो जाता है। घर वालों को मारने पर उतारू हो जाता है। खुद को चोट पहुंचाने लगता है। वह पहले ऐसा नहीं था, लेकिन वीडियो गेम खेलने की लत ने उसे हिंसक बना दिया। सुसाइडल टेंडेंसी के बाद घरवालों ने डी-एडिक्शन सेंटर में भर्ती कराया है।
इसी तरह पटना के इंद्रपुरी का मोहित भी कुछ ऐसी ही समस्या से जूझ रहा है। वीडियो गेम के लिए मोबाइल और टैब नहीं मिलने पर वह हिंसक हो जाता है। कई बार घंटों उसे कमरे में बंद करके रखा गया, लेकिन एडिक्शन की लत नहीं छूटी। अब घर वाले काउंसलिंग से उसकी आदत छुड़ाने में लगे हैं।
एक-दो नहीं बिहार में डी-एडिक्शन सेंटर पर आने वाले 60 फीसदी बच्चे वीडियो गेम एडिक्शन (VGA) के शिकार हैं। इसमें 20 प्रतिशत ऐसे जो हिंसक हो गए हैं। बच्चों में ऑनलाइन गेमिंग से सुसाइड टेंडेंसी बढ़ गई है। वीडियो और ऑनलाइन गेम कारण बच्चे सुसाइड करने की धमकी अपने माता-पिता को देने लगे है और साथ ही हिंसक भी होते जा रहे हैं।
जब उन्हें इसके लिए रोका जाता है तो वो उत्तेजित होने लगते है और अपने माता-पिता को ब्लैक मेल करते हैं। स्कूल से आते ही वो मोबाइल लेकर सीधे गेम में लग जाते हैं।
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