हाल में ही भागलपुर के सुल्तानगंज में एक पुल गिर गया तो अधिकारी ने कहा कि तेज हवा के कारण पुल गिर गया. इस पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी हैरानी जताई कि कोई आइएएस रैंक का अधिकारी यह दलील कैसे दे सकता है. अब एक इसी तरह का मामला मुंगेर में सामने आया है जहां पुलिस और अस्पताल प्रबंधन के बीच आपसी रार के कारण पिछले दस दिनों से एक शव का अंतिम संस्कार नहीं हो पा रहा है. इस मामले में सदर अस्पताल उपाधीक्षक ने एसपी को पत्र लिखकर मृतक का विधिवत रूप से अंतिम संस्कार कराने का आग्रह किया है.
मामले के बारे में मिली जानकारी के अनुसार, खगड़िया निवासी फुलेश्वर यादव के 61 वर्षीय बेटे पारस यादव विगत 27 अप्रैल 2022 को इलाज के लिए सदर अस्पताल में भर्ती हुए थे. 1 मई की शाम सदर अस्पताल में इलाज के क्रम में उनका देहांत हो गया. पारस यादव के निधन के बाद परिजन उनका शव को छोड़ कर चले गए थे. इसके बाद ही अस्पताल प्रशासन औ पुलिस के बीच पेच फंस गया.
दरअसल, दिवंगत पारस यादव का शव परिजनों द्वारा छोड़ जाने के बाद अस्पताल उपाधीक्षक ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए कोतवाली थानाध्यक्ष को पत्र लिखकर कहा था कि पुलिस अपने स्तर से पारस यादव के अंतिम संस्कार की व्यवस्था सुनिश्चित करे. लेकिन, अस्तपाल की इस मांग को कोतवाली पुलिस ने यह कह कर स्वीकार नहीं किया कि शव लावारिश नहीं है तथा यह किसी दूसरे जिले से संबंधित मामला है.
शव का अंतिम संस्कार नहीं हो पाया
अब न तो अस्पताल प्रशासन और न ही पुलिस द्वार शव के अंतिम संस्कार की व्यवस्था की जा रही है. ऐसे में पारस यादव के निधन के 10 दिन बीत जाने के बावजूद उसके शव का अंतिम संस्कार नहीं हो पाया है. जबकि, पारस यादव के परिजन भी अब तक उसके शव को नहीं ले गए हैं. हालांकि, इस मामले में सदर अस्पताल प्रबंधन ने एसपी जगुनाथ रेड्डी जला रेड्डी को पत्र लिख मृतक पारस यादव का विधिवत रूप से अंतिम संस्कार कराने का आग्रह किया है.
क्या कहा हॉस्पिटल उपाधीक्षक ने ?
एसपी को लिखे पत्र में अस्पताल उपाधीक्षक ने कहा है कि पारस यादव के निधन के बाद उसके परिजन शव को छोड़ चले गए थे. इसकी सूचना लिखित रूप से कोतवाली पुलिस को दी गई. लेकिन, कोतवाली पुलिस ने पत्र लेने से इनकार कर दिया. ऐसे में विगत दस दिनों से पारस यादव का शव सदर अस्पताल के शवगृह में पड़ा हुआ है, जिसके अंतिम संस्कार की व्यवस्था की जाय.
बहरहाल, इस मामले में दोनों ही महकमे के बीच आपसी समन्वय का अभाव साफ तौर पर दिख रहा है. साथ ही ऐसी बातों के लिए कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश की जानकारी की कमी भी स्पष्ट हो रही है. वहीं, इस कृत्य के लिए कौन तकनीकी रूप से जिम्मेदार है यह तो जांच का विषय है, लेकिन इतना अवश्य है कि मानवता के शर्मसार होने के लिए अस्पताल प्रशासन व पुलिस महकमा, दोनों ही जिम्मेदार है.
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