देशभर में शादी ब्याह की धूम शुरू हो गई है। कोरोना महामारी से भी राहत मिली हुई है, इसलिए पिछले साल की तुलना में जरा ज्यादा ही उत्साह नजर आ रहा है। ऐसे में बिहार में ‘पकड़ौआ’ का खतरा भी बढ़ गया है। यही कारण है कि घर के बड़े-बूढ़े बिहारी युवाओं को आगाह करने लगे हैं कि ‘पकडौआ विवाह’ का मौसम आ गया है, घर से जरा संभलकर निकलना।
बिहार के कुछ इलाकों में ‘पकड़ौआ’ या ‘पकड़वा’ विवाह चलन में है। यह एक तरह का जबरन या बलपूर्वक किया जाने वाला विवाह है। इसे फोर्स मैरिज भी कहा जाता है। इसमें लड़के को जबर्दस्ती किसी युवती से शादी करने के लिए मजबूर किया जाता है।
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जबरन विवाह करने वाला सक्रिय गिरोह
यह सिलसिला बिहार के बेगुसराय, लखीसराय, मुंगेर, मोकामा, जहानाबाद, गया, छपरा जैसे जिलों में 1980 के बाद से सक्रिय है। धीरे धीरे शुरू हुआ पकड़वा विवाह का सिलसिला अब काफी तेज हो गया है। बाद में पकड़ौआ विवाह कराने वाले गिरोह भी सक्रिय हो गए।
टीवी सीरियल और फिल्में भी आ चुकी हैं
बिहार के इस पकड़वा विवाद पर टीवी सीरियल ‘भाग्यविधाता’ भी बनाया गया था। हाल ही में आई फिल्म ‘अतरंगी रे ‘ , ‘जबरिया जोड़ी ‘ मूवी ग्रूम किडनैपिंग पर बेस्ड है।
मैरिज ब्यूरो की तरह चलते हैं पकड़वा विवाह गिरोह
बिहार के कुछ इलाकों में शादी ब्याह के मौसम में पकड़वा विवाह गिरोह मैरिज ब्यूरो की तर्ज पर सक्रिय हो जाते हैं। इन गिरोहों के पास विवाह योग्य युवकों का पूरा बॉयोडाटा होता है। विवाह योग्य युवक कहां नौकरी करते है? कहां तक पढ़े है? उसके परिवार में कितने लोग हैं? इसके बाद गिरोह के सदस्य इच्छुक व्यक्ति की बेटी का विवाह कराने का सौदा तय कर हैं। फिर उनसे मोटी रकम वसूली जाती है और लड़का पकड़कर या यूं कहें कि किडनैप कर विवाह करा दिया जाता है। शादी होने के बाद दोनों को जीवन भर साथ निभाने की कसम भी खिलाई जाती है।
लड़के जरा संभल कर बाहर निकले !
कई मामलों में जब लड़के तैयार नहीं होते हैं तो उनके साथ मारपीट तक की जाती है। कभी कभी तो परिवार को जान से मारने की धमकी भी दी जाती है। इसलिए विवाह के मौसम में बिहार के विद्यार्थियों, नौकरी व कारोबार करने वाले लड़कों को परिजन नसीहत देते हैं कि घर से बाहर न निकलें और निकलें तो जरा संभल कर।
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पहले अपहरण का केस दर्ज, बाद में राजीनामा
आमतौर पर किसी लड़के को जब पकड़वा गिरोह पकड़ लेता है तो उसके परिजन पुलिस में अपहरण की रिपोर्ट करा देते हैं, लेकिन पुलिस भी फौरी तौर पर मामला दर्ज करती है, कार्रवाई का तो सवाल ही कहां होता है। कुछ दिनों में पता चलता है कि लड़के की तो शादी हो गई है। फिर लड़का व लड़की वालों के बीच राजीनामा हो जाता है और केस को खत्म कर दिया जाता है।
पकड़वा बियाह के चर्चित मामले
1. पेशे से इंजीनियर विनोद कुमार की जबरन शादी का वीडियो साल 2017 के दिसंबर महीने में सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। समाज और दबंगों के लाख डराने धमकाने के बाद भी विनोद ने इस शादी को मानने से इनकार कर दिया। विनोद ने पटना के परिवार न्यायालय में शादी की वैधता को चुनौती दी, जिस पर मई 2019 में प्रिंसिपल जज कृष्ण बिहारी पाण्डेय ने फ़ैसला देते हुए शादी को अमान्य ठहरा दिया।
2.सहरसा जिले के रहने वाले आलोक को मई 2012 में उसके दोस्त पार्टी का लालच देकर अपने साथ ले गए फिर बंदूक के बल पर मंडप पर बैठाया और पकड़ुआ बियाह करा दिया था।
3.इसी साल जून में बेगूसराय के तेघड़ा थाना क्षेत्र में शिवम कुमार को बिहट खेमकरणपुर पूर्वी टोला के रहने वाले यदुनंदन सिंह ने गांव के लोगों के साथ मिलकर अगवा कर लिया था। इसके बाद युदुनंदन अपनी बेटी प्रिया भारती से शिवम की जबरन शादी करवा रहे थे। मौके पर पहुंची पुलिस ने कार्रवाई करने के बजाय दोनों पक्षों को समझा बुझाकर दोनों की शादी करवा दी।
पकड़वा बियाह का सबसे ज्यादा नुकसान किसे?
पकड़वा बियाह जैसे सामाजिक बुराई से सबसे ज्यादा लड़का लड़की को नुकसान उठाना पड़ता है। लड़की के पिता तो कम पैसे खर्च को बेटी की शादी अच्छी नौकरी या धन-संपदा से संपन्न युवक से करा देते हैं। सामाजिक दबाव में लड़के के परिवार वाले लड़की को अपना भी लेते हैं, लेकिन जीवनचर्या में उन्हें कितने ताने मारे जाते हैं इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता है।
इतना ही नहीं, कई बार तो लड़की को पूरे जीवन काल में पति का ठीक से प्यार नसीब नहीं हो पाता है। वहीं लड़का भी ऐसी शादी के बाद मानसिक रूप से परेशान हो जाता है। कई बार वह दिल से पत्नी को कभी स्वीकार ही नहीं पाता है। ऐसी स्थिति में प्यार की डोर से बनने वाला पति-पत्नी का रिश्ते नफरत और डर पर स्थापित हो जाता है।
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