क़तर को इस खेल प्रोजेक्ट से जुड़े 30,000 प्रवासी मजदूरों के साथ किए जा रहे बर्ताव को लेकर आलोचना का सामना करना पड़ा रहा है.फाइनल के लिए क़तर में 7 स्टेडियम, एक नया एयरपोर्ट, नई मेट्रो और सड़कें बनाई जा रही हैं. जिस स्टेडियम में फाइनल खेला जाएगा, उसी में 9 दूसरे मैच भी होंगे और ये नए शहर का केंद्रबिंदु है.
बहुत से मज़दूरों को ख़राब तरीक़े से रखा जाता है, उनके घर रहने लायक नहीं होते हैं.
साल 2016 में मानवाधिकार समूह एमनेस्टी इंटरनेशनल ने क़तर पर मज़दूरों से जबरदस्ती काम कराने का आरोप लगाया था. आरोपों में कहा गया था कि बहुत से मज़दूरों को ख़राब तरीक़े से रखा जाता है, उनके घर रहने लायक नहीं होते हैं, उनसे भारी भरकम रिक्रूटमेंट फीस ली गई थी और मज़दूरी को रोक दिया गया था, पासपोर्ट ज़ब्त कर लिए गए थे.साल 2017 से सरकार ने प्रवासी मजदूरों को गर्मी में काम करने से बचाने, काम के घंटे सीमित करने और उनके कैंप में रहने की व्यवस्थाओं को सही करने की शुरुआत की.
एमनेस्टी इंटरनेशनल का ये भी कहना है कि ”कफ़ाला” या स्पॉन्सरशिप सिस्टम को ख़त्म करने बावजूद भी कर्मचारियों पर दबाव डाला जा रहा था.
हालांकि, ह्यूमन राइट्स वॉच की 2021 की रिपोर्ट में कहा गया है कि विदेशी कामगार अब भी सैलरी में अवैध तरीक़े से कटौती झेल रहे थे, साथ ही दिनभर में कई घंटे काम करने के बावजूद कई महीने तक बिना वेतन के काम करने को मजबूर थे.एमनेस्टी इंटरनेशनल का ये भी कहना है कि ”कफ़ाला” या स्पॉन्सरशिप सिस्टम को ख़त्म करने बावजूद भी कर्मचारियों पर दबाव डाला जा रहा था. बता दें कि ‘कफ़ाला’ या स्पॉन्सरशिप सिस्टम के तहत बिना नियोक्ता की सहमति के कर्मचारी के नौकरी छोड़ने पर प्रतिबंध था.
फ़रवरी 2021 में गार्डियन अख़बार ने कहा था कि क़तर ने जब से वर्ल्ड कप के लिए बोली जीती थी तब से भारत, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका के 6,500 प्रवासी कामगारों की क़तर में मौत हो चुकी है.अधिकारियों ने मौतों पर जो आंकड़ा दिया था उसमें मौतों को पेशे या जगह या कामकाज के आधार पर वर्गीकृत नहीं किया गया था. लेकिन श्रम अधिकार समूह फेयरस्क्वेयर का कहना है कि मरने वालों में से कई वर्ल्ड कप इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में काम कर रहे थे.
क़तर का कहना है कि 2014 से 2020 के बीच वर्ल्ड कप स्टेडियम बनाने वाले मजदूरों में 37 की मौतें हुई हैं. इनमें से 34 मौतें काम की वजह से नहीं हुई हैं.
क़तर सरकार का कहना है कि ये आंकड़े बहुत अधिक बताए जा रहे हैं, क्योंकि इनमें हजारों ऐसे विदेशी लोग भी शामिल हैं जिनकी क़तर में कई सालों तक रहने और काम करने के बाद मौत हुई है. सरकार के मुताबिक़, इनमें से कई लोग भवन निर्माण सेक्टर में नौकरी नहीं कर रहे थे.क़तर का कहना है कि 2014 से 2020 के बीच वर्ल्ड कप स्टेडियम बनाने वाले मजदूरों में 37 की मौतें हुई हैं. इनमें से 34 मौतें काम की वजह से नहीं हुई हैं.
आंकड़ों के मुताबिक़, 2021 में 50 मज़दूरों की मौत हुई है और 500 से अधिक गंभीर रूप से घायल हुए हैं.
इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन (आईएलओ) का कहना है कि क़तर ने अचानक और अप्रत्याशित तरीक़े से हुई मजदूरों की मौत की गिनती नहीं की है. दिल के दौरे, हीटस्ट्रोक की वजह से रेस्पिरेटरी फेलर से हुई मौतों को ”काम से जुड़ी” मौत नहीं बताकर ”प्राकृतिक कारणों” से हुई मौत बताया गया है.आईएलओ ने क़तर में सरकारी अस्पतालों और एंबुलेंस सर्विसेज से मौतों के आंकड़े जुटाए हैं. इनमें वर्ल्ड कप प्रोजेक्ट से जुड़ी मौतों के आंकड़े भी शामिल हैं.इन आंकड़ों के मुताबिक़, 2021 में 50 मज़दूरों की मौत हुई है और 500 से अधिक गंभीर रूप से घायल हुए हैं. 37,600 लोगों को हल्की से मध्यम चोटें आईं हैं.
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