जयपाल सिंह फुटबॉल स्टेडियम करनडीह का निर्माण कार्य जल्द शुरू होने वाला है। पुरानी एजेंसी एमए इंटरप्राइजेज ही यह काम करेगी। 2018 में उसका ठेका तत्कालीन उपायुक्त ने रद्द कर दिया था, जिसे फिर से पुनर्बहाल कर दिया गया है। उस बात को चार साल बीत जाने के कारण करीब तीन करोड़ रुपये बढ़ाकर फिर से उस योजना का प्राक्कलन तैयार कर दिया गया है। और इसे तकनीकी स्वीकृति के लिए ग्रामीण विकास विभाग के पास भेजा गया है। इसके बाद प्रशासनिक स्वीकृति दी जाएगी और फिर काम शुरू हो जाएगा। पूर्व में यह योजना 3.68 करोड़ रुपये की थी, जो अब बढ़कर सात करोड़ से अधिक की हो गई है।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला 2018-19 का है। जब स्टेडियम का काम शुरू हुआ तो पता चला कि मैदान एक ओर काफी नीचे है। समतल करने के लिए ठेकेदार ने निचले हिस्से में फ्लाई ऐश गिराना शुरू किया। इसका तत्कालीन प्रखंड प्रमुख के नेतृत्व में कई पंचायत समिति सदस्यों ने विरोध किया। मामले ने तूल पकड़ लिया। काम बंद करा दिया गया। जांच हुई और डीसी ने स्टेडियम का एकरारनामा रद्द कर दिया। इसके खिलाफ ठेकेदार हाई कोर्ट चला गया। हाई कोर्ट में ठेकेदार का पलड़ा भारी देख, प्रशासन बैकफुट पर आया। उसने कोर्ट के बाहर ठेकेदार से समझौता कर लिया। शर्त यह थी कि एकरारनामा को पुनर्बहाल कर दिया जाएगा, ठेकेदार केस वापस ले ले। ठेकेदार की संशोधित एस्टीमेट की मांग भी मान ली गई।
तीन करोड़ की चपत लगी
तत्कालीन उपायुक्त अमित कुमार ने एकरारनामा रद्द किया था। इसके कारण योजना में देर हुई और फिर से स्टीमेट बनाना पड़ा, जिससे योजना की लागत करीब तीन करोड़ रुपये बढ़ गई। पहली बार इसका स्टीमेट बनाने में भी इंजीनियरों ने गलती की कि बिना जगह देखे प्राक्कलन बना दिया। अगर देखकर एस्टीमेट बनाया होता, तो उसमें मिट्टी भरने का प्रावधान करते। ठेकेदार ने मिट्टी भरने का खर्च उसमें शामिल नहीं होने के कारण ही मुफ्त में मिलने वाले फ्लाई ऐश से मैदान को भरना चाहा था।
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