सामाजिक अंकेक्षण स्रोत व्यक्ति संघ के द्वारा झारखंड प्रदेश के सभी 24 जिलों में एक दिवसीय धरना देकर उसका ज्ञापन उपायुक्त को दिया गया था, जिसमें यह कहा गया था कि 15 दिनों के अंदर हमारी मांगों को पूर्ण करते हुए निर्णय किया जाए, परंतु उस पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं किए जाने की स्थिति में 1 माह के बाद झारखंड सामाजिक अंकेक्षण स्रोत व्यक्ति संघ द्वारा 19 दिसंबर 2022 को एक दिवसीय राज्य स्तरीय महा धरना दिया गया, जिसमें संघ द्वारा जो मांगें रखी गई हैं, वे इस प्रकार हैं-
मांगें
1.मनरेगा की धारा 24 (1) के तहत स्थापित सामाजिक अंकेक्षण लेखा परीक्षा नियमावली 2011 के अनुसार वर्तमान सामाजिक अंकेक्षण इकाई को स्वतंत्र इकाई निबंधित कर सभी प्रशिक्षित एवं कार्यरत स्रोत व्यक्तियों का समायोजन करते हुए सुरक्षा बीमा से संबंधित नीति बनाई जाए।
2.मनरेगा की धारा 17 (2) के तहत सभी मनरेगा योजनाओं की सामाजिक अंकेक्षण अनिवार्य है, मनरेगा योजनाओं में पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित करने को लेकर प्रत्येक पंचायत में सामाजिक अंकेक्षण की प्रक्रिया पुनः प्रारंभ किया जाए।
3.सामाजिक अंकेक्षण कार्य कर चुके डीआरपी, बीआरपी एफसी, बीआरपी , वीआरपी, बीआरपी एसडी , वीआरपी डब्ल्यूडी का बकाया भुगतान एवं यात्रा भत्ता का भुगतान जल्द से जल्द किया जाए।
4.बीआरपी वीआरपी एवं बीआरपी एसडी को अंशकालिक की जगह पूर्णकालिक कर नियमित रूप से कार्य उपलब्ध कराया जाए एवं निर्धारित यात्रा भत्ता दिया जाए।
5.सामाजिक अंकेक्षण इकाई को केंद्र सरकार के द्वारा प्रस्तावित बजटीय प्रावधान के अलावा राज्य सरकार भी अपना बजटीय प्रावधान सुनिश्चित करें।
6.सामाजिक अंकेक्षण दल द्वारा सत्यापित और ग्राम सभा द्वारा अनुमोदित मुद्दों पर ससमय उचित कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
अधिकार के विषय में जागरूक किया-मासुम अंसारी
सामाजिक अंकेक्षण स्रोत व्यक्ति संघ के प्रदेश अध्यक्ष मासुम अंसारी के द्वारा बताया गया कि झारखंड के सोशल ऑडिट के लिए बीआरपी, वीआरपी के द्वारा झारखंड के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर मजदूरों को अपने अधिकार के विषय में जागरूक किया मनरेगा तथा अन्य लोक कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी देकर लाभ लेने की प्रक्रिया को बताया।
जनता चाहती है कि सामाजिक अंकेक्षण का कार्य हो-जाकिर हुसैन
प्रदेश सचिव जाकिर हुसैन ने कहा की सामाजिक अंकेक्षण के बीआरपी वीआरपी के द्वारा ग्राम सभा को सशक्त किया गया. सामाजिक अंकेक्षण के पूर्व ग्राम सभा के बारे में ग्रामीणो को पूर्ण जानकारी नहीं मिल पाती थी, लेकिन जब से सामाजिक अंकेक्षण स्रोत व्यक्तियों द्वारा ग्राम सभा को सशक्त करने का जोर दिया गया लोगों में इसका काफी प्रभाव देखने को मिला. पंचायत में लोगों को हर तरह की योजनाओं की जानकारी बढ़ी है. जनता चाहती है कि सामाजिक अंकेक्षण का कार्य हो जिससे कि ग्रामीणों को हर तरह के लोक कल्याणकारी योजना का लाभ मिलता रहे।
पंचायत में दस्तावेजी करण में कुछ सुधार हुआ है, तो इसका पूरा श्रेय या सामाजिक अंकेक्षण को जाता है-रामप्रसाद राणा
प्रदेश महासचिव रामप्रसाद राणा ने कहा, “हम बीआरपी-वीआरपी को झारखंड सरकार ने ‘लिखो फेंको कलम’ की स्थिति में छोड़ दिया है, जबकि कोरोना काल में पूरे देश में कोरोना से जनता मजदूर त्राहि-त्राहि कर रही थी, उस परिस्थिति में बीआरपी, वीआरपी ग्रामीण मजदूर एवं प्रवासी मजदूरों को काम की मांग कर उसे मनरेगा से रोजगार दिलाने का काम किया, जिसका रोजगार दिवस सृजन का ग्राफ पूरे भारत में सबसे ज्यादा झारखंड में था, आज के समय में पंचायत में दस्तावेजी करण में कुछ सुधार हुआ है, तो इसका पूरा श्रेय या सामाजिक अंकेक्षण को जाता है।
सोशल ऑडिट होने से योजना में पारदर्शिता एवं कर्मियों में जवाबदेही बढ़ी है-हरे कृष्ण महतो
प्रदेश कोषाध्यक्ष हरे कृष्ण महतो ने कहा कि सोशल ऑडिट होने से योजना में पारदर्शिता एवं कर्मियों में जवाबदेही बढ़ी है एवं मजदूरों को ससमय कार्य उपलब्ध कराया जाता है। महा धरना में प्रांतीय उपाध्यक्ष दिनेश यादव उप कोषाध्यक्ष योगेंद्र गुप्ता प्रांतीय प्रवक्ता शिव शंकर दसौंधी एवं बबलू कुमार चौधरी के द्वारा बताया गया कि सोशल ऑडिट होने से अनियमितताओं में कमी आई है तथा पूरे देश स्तर में सोशल ऑडिट झारखंड एक अलग पहचान बनाई है 2016 से अभी तक झारखंड सोशल ऑडिट इकाई के द्वारा 18 तरह के कल्याणकारी योजनाओं का सामाजिक अंकेक्षण किया जा चुका है,
जैसे मनरेगा जेटीडीएस, पीवीटीजी, एमडीएम ,एसबीएम, पीएमएवाईजी एवं अन्य तथा इनके द्वारा बताया गया कि सभी लोक कल्याणकारी योजनाओं का सामाजिक अंकेक्षण अनिवार्य रूप से कराया जाए ताकि लोगों को शत प्रतिशत लाभ मिल सके यदि 15 दिनों के अंदर सभी मांगे पूरी नहीं की गई तो जोरदार आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
इस महा धरना में 24 जिलों के डीआरपी ,बीआरपी एफसी बीआरपी , वीआरपी ,बीआरपी एसडी हजारों की संख्या में महिला महिलाएं एवं पुरुष उपस्थित रहे।
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शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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