ग्राम मनपीटा में ग्राम प्रधान रामचरण कर्मकार के नेतृत्व मे आज 27 रविवार को डायन प्रथा उन्मूलन और नशा मुक्ति अभियान के तहत जन-जागरण किया गया एवं पदयात्रा पूरे गांव में की गई।
इस अवसर पर ग्राम प्रधान रामचरण कर्मकार ने कहा, “डायन प्रथा समाज मे कुप्रथा है, जिसे सरकार एवं समाज के संयुक्त प्रयास से खत्म करने की आवश्यकता है। झारखंड राज्य डायन प्रथा प्रतिषेध कानून 2001 अंतर्गत अगर कोई व्यक्ति किसी महिला को डायन करार देकर शारीरिक और मानसिक तौर पर प्रताड़ित करता है, तो उसे 6 माह का कारावास या ₹2000 का जुर्माना या दोनों हो सकता है।”
जन-साधारण को नशे के दुष्प्रभावों के बारे में जागृत करना है
मनपीटा ग्राम के पढे लिखे युवा प्रभाकर हांसदा एवं लक्ष्मण लोहार ने नशा मुक्ति के बारे में ग्रामीणों को जागरूक करते हुए कहा, ” नशा मुक्त भारत अभियान का उद्देश्य न केवल जन-साधारण को नशे के दुष्प्रभावों के बारे में जागृत करना है, बल्कि नशे के खिलाफ इसे जन आंदोलन का रूप देना है, ताकि नशे के खिलाफ हर आदमी जुड़कर अपना योगदान दे सके।”हुरलुगं पंचायत के मुखिया लीना मुंडा ने कहा, “नशा मुक्ति हमारे समाज की प्रगति और उन्नति का मार्ग है। यह हमें स्वतंत्रता, स्वास्थ्य और खुशहाली की ओर ले जा सकती है। हम सभी को मिलकर नशा मुक्त समाज की प्रगति करनी चाहिए और एक स्वस्थ, सकारात्मक और समृद्ध समाज की स्थापना करने के लिए समर्थन करना चाहिए।”
नशा व्यक्तित्व के विनाश, निर्धनता की वृद्धि और मृत्यु के द्वार खोलता है
वार्ड सदस्य सरिता कालुन्डिया ने कहा, “नशा किसी प्रकार का भी हो व्यक्तित्व के विनाश, निर्धनता की वृद्धि और मृत्यु के द्वार खोलता है। इस के कारण परिवार तक टूट रहे हैं। आज का युवा शराब और हेरोइन जैसे मादक पदार्थो का नशा ही नहीं, बल्कि कुछ दवाओं का भी इस्तेमाल नशे के रूप में कर रहा है। इस आसुरी प्रवृत्ति को समाप्त करना परमावश्यक है।”वार्ड सदस्य रानिता सोरेन ने कहा, “नशा एक ऐसी बुराई है, जिसकी वजह से व्यक्ति अपना अनमोल जीवन समय से पहले ही खो देता है, नशा करने से व्यक्ति अपने शारीरिक व मानसिक संतुलन को नियंत्रित नहीं कर पाता, जिससे उसका सामाजिक एवं आर्थिक जीवन भी बुरी तरह प्रभावित होता है। नशे का कुप्रभाव आज विश्व के हर देश में देखा जा रहा है।”
आम तौर पर किसी महिला की संपत्ति हड़पने के विचार से भी डायन कहा जाता है
वार्ड सदस्य सिन्धु कर्मकार ने कहा, “आम तौर पर किसी महिला की संपत्ति हड़पने के विचार से भी डायन कहा जाता है, इसका मुख्य आधार जिसकी पुष्टि ओझा कहे जानेवाले पुरुष या गुनिया कही जानेवाली औरत द्वारा कराई जाती है। इसके बाद शुरू हो जाता है अत्याचारों का सिलसिला। किसी महिला को डायन बताने के पीछे जो कारण है, वे इस प्रकार हैं – भूमि और संपत्ति विवाद, अंधविश्वास, अशिक्षा, जागरूकता एवं जानकारी का अभाव, यौन शोषण, भूत-प्रेत, ओझा-गुणी पर विश्वास, आर्थिक स्थिति का ठीक न होना, व्यक्तिगत दुश्मनी, स्वास्थ्य सेवा का अभाव।”
ये रहे शामिल
जनजागरण अभियान में ग्राम प्रधान रामचरण कर्मकार, मुखिया लिना मुंडा,सामाजिक कार्यकर्ता कृष्णा लोहार, सोमनाथ पाडे़या,रायमूल बान्ड्रा, वार्ड सदस्य- सरिता कालुन्डिया, रानिता सोरेन, सिन्धु कर्मकार , प्रभाकर हाँसदा, लक्ष्मण लोहार, देवला सोरेन, सुनिता मार्डी, संगीता महतो, मनीला महतो, जाम्बी गगराई, सितला महतो, कबिता महतो,सुशीला कर्मकार, आशा लोहार, पिंकी हो, तारापदो महतो,राम मार्डी(गायक),संतोष कर्मकार,पूश सोरेन, लुगू सोरेन एवं ग्रामवासी शामिल रहे।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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