
बाल संरक्षण तथा परिवार आधारित वैकल्पिक देखभाल विषयों पर दो दिवसीय जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन
जिला दंडाधिकारी-सह-उपायुक्त के निदेश में बाल संरक्षण सहायता कार्यालय एवं सीoटीoडी चाइल्ड फंड इंडिया के संयुक्त तत्वाधान में और यूनिसेफ (सीसीआर-एनयूएसआरएल) झारखंड का तकनीकी मदद से जिलास्तरीय बाल संरक्षण (वैकल्पिक देखभाल) सेमिनार सीकेपी दरबार होटल सभागार कक्ष में बाल संरक्षण तथा परिवार आधारित वैकल्पिक देखभाल विषयों पर ज़िला स्तरीय सेमिनार का शुभारंभ सामाजिक सुरक्षा के सहायक निदेशक क़ी अध्यक्षता में क़ी गयी इसके साथ जिला बाल संरक्षण कार्यालय सहायता केंद्र से संरक्षण पदाधिकारी डॉ. कृष्णा कुमार तिवारी, यूनिसेफ़-सीसीआर-एनयूएसआरएल के तकनीकी सहायक अनिरुद्ध सरकार, चाइल्ड फंड सी टी डी से जॉन वीरेंद्र लकड़ा द्वारा कार्यशाला क़ी शुरुआत क़ी गयी.
बाल कल्याण समिति से मो. शमीम और जयदू करजी पश्चिमी सिंहभूम, चाईबासा द्वारा बाल कल्याण समिति के कार्यशैली और जरूरतमंद बच्चों से हेतु परिवार आधारित देखभाल के बारे में विस्तृत चर्चा क़ी उन्होंने बताया क़ी ज़िला में बाल तस्करी क़ी समस्या को दूर करने के लिए समाज क़ी प्रत्येक व्यक्ति को आगे आना जरुरी हैं. प्रत्येक परिवार क़ी जिम्मेदारी है क़ी वो अपने बच्चों को स्नेह, प्यार और भावनात्मक दृष्टिकोण अपनाते हुए उन्हें भरपूर समय दे जिससे बच्चों में अपने जीवन में नैतिकता और सदाचार बनाये रखे. आगे डॉ कृष्णा कुमार तिवारी ने बताया क़ी समाज में बाल तस्करी,बाल विवाह ,बाल पलायन, बाल-श्रम रोकना,कम उम्र में नशापन प्रत्येक समाज के लिए अभिशाप जिसे मुक्त करना प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य होना चाहिए.
सुरक्षित बचपन खुशहाल जीवन
आगे कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रोटेक्शन पदाधिकारी डॉ कृष्णा कुमार तिवारी ने कहा कि राज्य सरकार के मार्गदर्शन जिला महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग द्वारा सुरक्षित बचपन खुशहाल जीवन के तहत समुदाय स्तर पर बच्चों के अधिकार पर परिवार आधारित देखभाल के तहत स्पोंशरशिप, फॉस्टर केयर तथा आफ्टर केयर योजना चलाया जा रहा है. फॉस्टर केयर और स्पोंसरशिप के तहत एकल परिवार, अनाथ परिवार, बेसहारा बच्चों, दिव्यांग बच्चों एवं गंभीर बीमारी से पीड़ित परिवार के बच्चों को इस योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा 4000 रुपये प्रति माह प्रदान किया जाता है, इसके लिए उन परिवार को आय प्रमाण पत्र सलाना 75000 तक या उससे कम के लिए प्रखंड कार्यालय में आवेदन देना होता है.
बाल संरक्षण के ज्वलंत मुद्दे
उन्होंने बाल संरक्षण के ज्वलंत मुद्दे पर भी विधिक स्वयंसेवक का ध्यानाकर्षण करते हुए बताया कि कम उम्र के बच्चे में ज्यादा ध्यान की विशेष जरुरत होती है वो आसानी से तस्करी के शिकार हो जाते हैं, उन्हें रोकने के लिए चाइल्ड हेल्पलाइन सेवा 1098 में सूचित करना चाहिए. यूनिसेफ़-सीसीआर एनयूएसआरएल के तकनीकी सहायक अनिरुद्ध सरकार ने बताया की बच्चों का पालन-पोषण एक बाल कल्याण सेवा है, जहाँ बच्चों को अस्थायी रूप से किसी व्यक्ति या परिवार की देखरेख में रखा जाता है, जिसके साथ बच्चों का पालन-पोषण और समर्थन किया जाता है, उन माता-पिता के स्थान पर जो ऐसा नहीं कर सकते हैं; इसलिए यह अवधारणा गोद लेने से बहुत दूर है, क्योंकि इससे बच्चे और जैविक माता-पिता के बीच कानूनी संबंध नहीं टूटते हैं।
स्थायी योजना
यह बच्चों को उपेक्षा, दुर्व्यवहार या अन्य पारिवारिक व्यवधानों के मामलों में एक स्थिर और पोषण करने वाला वातावरण प्रदान करने के लिए है, जब तक कि बच्चे की देखभाल के लिए एक अधिक स्थायी योजना विकसित नहीं हो जाती है या तो जैविक माता-पिता के साथ पुनर्मिलन या गोद लेना। पालन-पोषण तत्काल देखभाल प्रदान करने और कमजोर बच्चों की भलाई सुनिश्चित करने में एक आवश्यक भूमिका निभाता है। इस कार्यक्रम में पी एल वी स्वेता रवानी ने कहा कि एकल व्यक्तियों को हालांकि बच्चों को पालने की अनुमति दी जाएगी, चाहे वे विवाहित हों अथवा एकल, अपने जीवनसाथी से कानूनी रूप से अलग अथवा विधवा/विधुर हों।
प्रत्येक बच्चे का विद्यालय नामांकन
इस श्रेणी को इस मान्यता में शामिल किया गया है कि एकल व्यक्ति भी बच्चों को एक प्यार भरा और पालन-पोषण वाला घर दे सकते हैं। हालाँकि, एकल पुरुषों को केवल पुरुष बच्चों को पालने की अनुमति दी जा सकती है और एकल महिलाओं को किसी भी लिंग के बच्चों को पालने की अनुमति दी जा सकती है। बेनेडिक्टा इक्का समाजिक कार्यकर्ता, समेकित जन विकास केंद्र ने बताया की बाल संरक्षण जागरूकता कार्यक्रम से ही बच्चों की सुरक्षा संभव है और प्रत्यक्ष रूप से प्रत्येक परिवार और अभिभावक को सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रत्येक बच्चे का विद्यालय नामांकन कराये.
बच्चों की कम उम्र में शादी
सीटीडी से प्रोजेक्ट मैनेजर नारायण चक्रवर्ती ने कहा कि सभी बच्चों के माता-पिता बच्चों की कम उम्र में शादी करके यह न सोचें की उनके दायित्व पूर्ण हो गया, यह एक जघन्य अपराध कि श्रेणी में आता है, जिससे उनका स्वयं का मानसिक, शारीरिक विकास ठीक से नहीं हो पाता है, यह बेहद गंभीर बात है। आगे बाल अधिकार के सम्बन्ध में डॉ. कृष्णा कुमार तिवारी ने बताया कि जनप्रतिनिधियों, समाज के बुद्धिजीवी वर्ग, मीडिया बंधु सभी का यह दायित्व है कि समाज को इस कुचक्र से बाहर निकालने में अपनी सक्रिय भूमिका को निभाएं। यह सिर्फ कानून के भय से समाप्त नहीं होगा।
गोद लेने की दर
अंत में जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी पुनिता तिवारी ने आये प्रतिभागियों से अपील करते हुए कहा कि नौकरशाही बाधाओं और सामाजिक कलंक के कारण गोद लेने की दर आमतौर पर कम रहती है, जबकि अनाथ या परित्यक्त बच्चों की संख्या बहुत अधिक है, यूनिसेफ के अनुसार इनकी संख्या 30 मिलियन से अधिक है। इसके अलावा, हाल के दिनों में, केवल लगभग 50,000 बच्चों को गोद लेने के लिए पंजीकृत किया गया था, जो इस बात का संकेत है कि प्रक्रिया और सामाजिक स्वीकृति को बढ़ाया जाना चाहिए।
बाल तस्करी और बाल विवाह को रोकने में..
श्री नारायण चक्रवर्ती-सीटीडी ने कहा कि बाल तस्करी और बाल विवाह को रोकने में सभी हितधारकों को अपने बैठक में ऐसी बाल संरक्षण के मुद्दों को शामिल करें और सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं को धरातल में लाने के लिए विभाग कि मदद करें. उन्होंने उनकी भूमिका के बारे में बताते हुए कहा कि उनकी भूमिका बाल संरक्षण के मामलों में उनकी कितनी अहम रोल हो जाती है, उन्होंने आगे कहा कि आप लोग अपनी सहभागिता सुनिश्चित करेंगें तो आने वाले बच्चे के भविष्य को सँवारा जा सकता हैं, जिससे किसी बच्चे कि समस्या को जानकार उनका सही समय उनके जड़ में पहुंच कर उन्मूलन किया जा सके और सभी परिवार अपने बच्चों को पालन पोषण हेतु विशेष ध्यान रखने क़ी जरुरत है.

शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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