विश्लेषकों का कहना है कि सामने आई महंगाई दर को ध्यान में रखें, तो उसका मतलब यह है कि बीते एक साल में आम अमेरिकी लोगों की वास्तविक आमदनी में 3.1 फीसदी गिरावट आई है। 2007 के बाद की यह सबसे बड़ी गिरावट है। 2007-08 में आर्थिक मंदी की शुरुआत हुई थी। उसकी वजह से औसत वास्तविक आय घटी थी। लेकिन बीते जनवरी में आई गिरावट 2008 के बाद से सबसे अधिक है। विश्लेषकों का कहना है कि मुद्रास्फीति से कर्मचारियों की आय को सुरक्षा देने के लिए जरूरी है कि उनकी तनख्वाह बढ़ाई जाए लेकिन उस हाल में कंपनियों का खर्च बढ़ेगा और उससे महंगाई दर और बढ़ सकती है।
ब्यूरो लेबल स्टैटिस्टिक्स के ताजा आंकड़ों के मुताबिक बीते 12 महीनों में अमेरिका में उपभोक्ता वस्तुओं की कीमत में 7.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है
कुछ अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इन आंकड़ों में मकान की कीमत और किराये में हुई असली बढ़ोतरी को ठीक से शामिल नहीं किया गया है। ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में आवास की महंगाई दर 3.7 फीसदी रही। जबकि असल में मकान की कीमतें 20 प्रतिशत और किराया 13 प्रतिशत बढ़ा है। उन्होंने ये बात जिलोव नेशनल रेट इंडेक्स और रियल एस्टेट सेक्टर से जुड़ी वेबसाइटों के आंकड़ों के आधार पर कही।
अमेरिका में जारी महंगाई के ताजा आंकड़ों ने जो बाइडेन प्रशासन और अर्थशास्त्रियों की चिंताएं बढ़ा दी हैं। ब्यूरो लेबल स्टैटिस्टिक्स के ताजा आंकड़ों के मुताबिक बीते 12 महीनों में अमेरिका में उपभोक्ता वस्तुओं की कीमत में 7.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। यह पहले लगाए गए अनुमान से ज्यादा है।
ब्याज दर बढ़ाने से महंगाई तब घटती है, जब इसके बढ़ने का कारण व्यापक रूप से कर्ज लेना रहा हो।
आर्थिक विश्लेषक डेविड पी गोल्डमैन ने कहा है कि इस समय महंगाई जिन कारणों से बढ़ी है, उसे देखते हुए ब्याज दर बढ़ाने से कोई राहत नहीं मिलेगी। उन्होंने एक टिप्पणी में लिखा है- ‘ब्याज दर बढ़ाने से महंगाई तब घटती है, जब इसके बढ़ने का कारण व्यापक रूप से कर्ज लेना रहा हो। लेकिन अभी मुद्रास्फीति में वृद्धि सरकार की तरफ से छह ट्रिलियन डॉलर की सब्सिडी देने के कारण हुई है। इस सब्सिडी के कारण मांग बढ़ गई, जबकि आपूर्ति उसके मुताबिक नहीं हो पाई।’
विश्लेषकों का कहना है कि इसके पहले ऐसी महंगाई का दौर 1979 में आया था। तब लोगों ने बैंकों से बड़े पैमाने पर कर्ज लिए थे। बैंकों की तरफ से दिए गए कर्ज में 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी। इसलिए तब ब्याज दर बढ़ाने से महंगाई काबू में आ गई। लेकिन इस बार कहानी अलग है। बैंकों से कर्ज खुद सरकार ने लिया है। अमेरिका सरकार पर कर्ज बढ़ कर 30 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। ऐसे में ब्याज दर बढ़ने से सरकार की देनदारी बढ़ेगी। उसका अर्थव्यवस्था पर खराब असर होगा।
अर्थशास्त्रियों ने ध्यान दिलाया है कि अगर आवास क्षेत्र में बढ़ी पूरी महंगाई को शामिल किया जाए, तो अमेरिका में मुद्रास्फीति का संकट और गंभीर दिखेगा। इसका कोई फौरी हल नहीं है। सरकार जरूरी चीजों का उत्पादन बढ़ाने वाली नीतियों को बढ़ावा देकर इसके दीर्घकालिक हल की तरफ जरूर बढ़ सकती है।
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