ट्रेन टिकट कैंसिल करने पर मिलने वाले रिफंड को लेकर एक दिलचस्प फैसला आया है. रेलवे की टिकट बुकिंग सर्विस देने वाली संस्था आइआरसीटीसी के द्वारा लिए गए इस फैसले का फायदा करीब तीन लाख यूजर्स को मिलेगा. रेलवे बोर्ड ने ने 2.98 लाख यात्रियों को 2.43 करोड़ रुपये लौटाने की मंजूरी दे दी है.
क्यों लिया रेलवे ने यह फैसला?
भारतीय रेलवे के इस फैसले की वजह है एक आदमी के 5 साल लंबी संघर्ष की दिलचस्प कहानी. दरअसल पेशे से इंजीनियर सुजीत नाम के एक सख्श ने साल 2017 में स्वर्ण मंदिर मेल ट्रेन में कोटा से दिल्ली के लिए 765 रुपये का टिकट बुक किया था. टिकट की कीमत थी 765 रुपये. लेकिन वेटिंग टिकट होने के चलते सुरजीत यात्रा नहीं कर पाए. सुरजीत द्वारा टिकट कैंसल करने पर उनको 665 रुपये का रिफंड मिला. सुजीत के मुताबिक रेलवे को टैक्स सर्विस के तौर पर 65 रुपये काटने थे लेकिन उसने ने 100 रुपये काट लिए.
सुजीत ने जुलाई 2017 में मामले को लेकर आरटीआई लगाकर सूचना मांगी. इसके जवाब में रेलवे ने बताया कि करीब 2 लाख 98 हजार यूजर्स से प्रति यात्री 35 रुपये सेवाकर के रूप लिए गए थे. सुजीत ने इस बारे में रेल मंत्री और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर सभी यात्रियों का पैसा रिफंड करने की मांग की. आखिर मई 2019 में IRCTC ने सुजीत के बैंक अकाउंट में 33 रुपये डाल दिए गए. लेकिन सुजीत का कहना था कि रेलवे ने 35 के बजाय 33 रुपये का ही रिफंड भेजा है. 2 रुपये के रिफंड के लिए सुजीत ने 2019 में फिर से आरटीआई लगाई. सुजीत हर दो महीने में आरटीआई के जरिए रिफंड की जानकारी मांगते थे.
5 साल बाद मिला 2 रुपये का रिफंड
आखिकार 27 मई को सुजीत को आईआरसीटीसी के एक अधिकारी द्वारा फोन पर बताया गया कि, रेलवे बोर्ड ने सभी यूजर्स का रिफंड मंजूर कर लिया है. 30 मई को सुजीत के अकाउंट में दो रुपये का रिफंड आ गया. इसके बाद सुजीत ने पांच साल चले संघर्ष के पूरा होने के बाद थैंक्यू कहने के लिए 535 रुपये पीएम केयर फंड में ट्रांसफर किए.
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