झारखंड हाईकोर्ट में शुक्रवार को माइनिंग लीज और शेल कंपनियों से जुड़े मामले में सुनवाई हुई. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई इस सुनवाई में ईडी की ओर से वरीय अधिवक्ता तुषार मेहता ने कोर्ट को ईडी की कार्रवाई की जानकारी दी. ईडी के अधिवक्ता ने हाल के दिनों में ईडी की ओर से जो भी कार्रवाई हुई है उससे संबंधित दस्तावेज कोर्ट में सौंपने की अनुमति मांगी.जिसके बाद हाईकोर्ट ने संबंधित दस्तावेज को रजिस्ट्रार जनरल के पास सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया.
जाने क्या है पूरा मामला ?
शुक्रवार को हेमंत सोरेन माइनिंग लीज मामले को लेकर भी झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. जिसके बाद कोर्ट ने माइनिंग लीज और शेल कंपनियों के मामले में 17 मई को दोपहर 2 बजे सुनवाई की अगली तारीख मुकर्रर की. अगली सुनवाई से पहले तमाम दस्तावेज सीलबंद लिफाफे में कोर्ट में जमा कर दिए जाएंगे.
हालांकि राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कोर्ट में पक्ष रखा. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के कई आदेशों का हवाला देते हुए कोर्ट में इस मामले में दाखिल की गई याचिका को खारिज करने की मांग की. दरअसल प्रार्थी शिवशंकर शर्मा ने झारखंड हाईकोर्ट में अधिवक्ता राजीव कुमार के माध्यम से इस मामले में याचिका दाखिल की है.
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजीव कुमार ने बताया कि सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता तुषार मेहता ने माइनिंग लीज, शेल कंपनियों और मनरेगा से जुड़े तमाम मामलों को एक बड़ा घोटाला बताते हुए इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की है.
अधिवक्ता राजीव कुमार ने बताया कि सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अपनी मौखिक टिप्पणी में कौटिल्य के अर्थशास्त्र का एक वाक्यांश दोहराया. कोर्ट ने कहा कि राजा का सुख प्रजा के सुख में ही होता है.
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