देश के किसी न किसी राज्य से मॉब लिंचिंग की खबर आए दिन आती रहती है। कभी किसी को धर्म के नाम पर तो कभी चोरी का इल्ज़ाम लगाकर। इस अमानवीयता के खिलाफ़ अब झारखण्ड की हेमंत सोरेन सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। झारखण्ड में मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) रोकने के लिए 21 दिसंबर 2021 को झारखण्ड भीड़ हिंसा और भीड़ लिंचिंग निवारण विधेयक 2021 (Jharkhand Prevention of Mob Violence and Mob Lynching Bill 2021) पारित किया गया है।
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देश में कितने मामले
केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा बताए गए आंकड़ों के मुताबिक 2014 से लेकर मार्च 2018 के बीच 9 राज्यों में मॉब लिंचिंग की 40 घटनाओं में 45 लोगों की मौत हो गयी ।इसमें कितने मामले धार्मिक कट्टरता से प्रेरित थे।इसका कोई आंकड़ा नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
2018 में, सुप्रीम कोर्ट ने तहसीन एस पूनावाला बनाम भारत संघ मामले में, लिंचिंग से संबंधित याचिकाओं पर फैसला सुनाया था।साथ ही कोर्ट ने अपने फैसले को लागू करने के लिए केंद्र और राज्यों को गाइडलाइन्स भी जारी की थी। निर्देश ये भी था कि एक अलग अपराध के बतौर लिंचिंग पर एक नया कानून बनाया जाए।लेकिन तबसे अब तक सिर्फ चार राज्य ही इस पर कानून लेकर आ सके हैं।
झारखण्ड मॉब लिंचिंग में पीछे नहीं रहा
झारखण्ड के संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम के कहे मुताबिक झारखण्ड में 2016 से लेकर अब तक मॉब लिंचिंग की 56 घटनाएं हुई हैं।देश में लिंचिंग के सबसे चर्चित मामलो में से एक जून 2019 में तबरेज़ अंसारी का मामला भी झारखण्ड का ही है। तबरेज़ को चोरी के शक पर घर जाते वक़्त धातकीडीह गांव की भीड़ ने पोल से बांधकर पीटा था। अंसारी को कथित तौर पर धार्मिक नारे लगाने के लिए भी प्रताड़ित किया गया था।रात भर पीटने के बाद गाँव वालों ने तबरेज़ को पुलिस के हवाले कर दिया था जहां से उसे जेल भेज दिया गया था। और जेल जाने के 4 दिन बाद तबरेज़ की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी। दिल का दौरा पड़ने से मौत होने की बात पुलिस की चार्जशीट में लिखी गई थी।
इस मामले में 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया था।लेकिन सितंबर 2019 में पुलिस द्वारा उनके खिलाफ आरोपों को गैर इरादतन हत्या में बदल दिया गया और उनमें से अधिकांश को जमानत मिल गई थी।इस साल सितंबर 2021 में अंसारी की विधवा पत्नी सहिस्ता परवीन रांची में राजभवन के पास धरने पर बैठी थीं, उनकी मांग थी कि इस तरह के अपराधों के खिलाफ एक मजबूत कानून बनाया जाए। और अब झारखण्ड सरकार द्वारा लाए गए विधेयक से सहिस्ता की मांग पूरी होती दिखती है। ऐसे मामलों में 3 साल से लेकर उम्र कैद तक की सजा के कड़े प्रावधान किए गए हैं।
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कानूनी तौर पर Lynching की परिभाषा
विधेयक की धारा-2 के 6th क्लॉज़ के मुताबिक दो या दो से अधिक लोगों के समूह को ‘भीड़’ माना जाएगा। वहीं 5th क्लॉज़ के मुताबिक किसी ‘ऐसी भीड़’ द्वारा धार्मिक, रंगभेद, जाति, लिंग, जन्मस्थान, भाषा के आधार पर हिंसा या हिंसक घटना हो तो उसे लिंचिंग माना जाएगा।
कितने कड़े प्रावधान हैं?
विधेयक की धारा-8 में प्रावधान है कि किसी पीड़ित को भीड़ द्वारा मारे जाने से गंभीर चोट आती है तो दोषियों को आजीवन कारावास और 3 लाख से 5 लाख रूपए तक का ज़ुर्माना देना पड़ सकता है। इसके अलावा विधेयक की धारा-8 के क्लॉज़ 3 के तहत पीड़ित की मौत हो जाने पर दोषियों पर आजीवन कारावास और जुर्माने के तौर पर 25 लाख रूपए के साथ-साथ उनकी चल-अचल सारी संपत्तियों को कुर्क भी किया जा सकता है। भड़काऊ पोस्ट और ऐसे कॉन्टेंट जिससे लिंचिंग की आशंका हो तो पुलिस द्वारा FIR दर्ज करके कार्रवाई की जा सकती है। विधेयक में एक आईजी स्तर के अधिकारी की नियुक्ति का भी प्रावधान है, जिसे नोडल अधिकारी कहा जाएगा, जिसका काम लिंचिंग की घटनाओं को रोकना होगा ।
उसे हर महीने कम से कम एक बार सारे इंटेलिजेंस यूनिट, और जिला स्तर के अधिकारियों के साथ बैठक करनी होगी।सोशल मीडिया पर नजर रखना भी अधिकारियों की ड्यूटी होगी। इसके अलावा विधेयक में पीड़ितों के लिए मुफ्त इलाज और मुआवज़े की भी बात कही गई है। ये विधयेक अधिसूचित (Notified) होने के बाद, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और मणिपुर के बाद झारखण्ड मॉब लिंचिंग पर कानून लाने वाला देश का चौथा राज्य बन जाएगा।
ताज़ा मामला पंजाब से
18,19 दिसंबर 2021 को अमृतसर और कपूरथला में हुई लिंचिंग की घटना से पंजाब में 24 घंटे के अंदर 2 लोगो की मौत हो गई।मामला बेअदबी का बताया जा रहा है।सिख धर्म में बेअदबी का अर्थ धर्म का अपमान है। इस मामले में जान गंवाने वाले एक व्यक्ति का वीडियो वायरल हुआ था। जिसमें वो मंदबुद्धि लग रहा है। पंजाब में लिंचिंग के इन मामलों के बाद राहुल गांधी ने ट्वीट कर लिखा था कि 2014 से पहले, ‘लिंचिंग’ शब्द अनसुना था।
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