झारखंड में जल्द ही खाद्य सामग्रियों की भारी किल्लत पैदा हो सकती है। दरअसल, यहां व्यापारियों ने राज्य सरकार की तरफ से प्रस्तावित बाजार शुल्क का विरोध करने का फैसला किया है। इसी के तहत ज्यादातर व्यापारियों ने दूसरे राज्यों से आने वाले खाने के सामानों का आयात बंद कर दिया है।
गौरतलब है कि हेमंत सोरेन सरकार ने झारखंड राज्य कृषि उत्पाद और मवेशी विपणन विधेयक 2022 में इस शुल्क को जगह दी थी। इस विधेयक को मार्च में ही विधानसभा में मंजूरी मिल गई थी। हालांकि, इस पर अभी राज्यपाल की मुहर लगना बाकी है।
उत्पादों पर 2 फीसदी बाजार शुल्क लगेगा
झारखंड राज्य कृषि विपणन बोर्ड के प्रबंध निदेशक मनोज कुमार ने कहा, “एक बार अगर नए नियम लागू हो गए तो खराब न होने वाले उत्पादों पर 2 फीसदी बाजार शुल्क लगेगा, जबकि ऐसे खाद्य पदार्थ, जो कि खराब हो सकते हैं, उन पर एक फीसदी का बाजार शुल्क लगेगा।”
कुमार ने कहा कि ‘कृषि बाजार शुल्क’ लगाने का नियम केंद्र ने लागू किया है और झारखंड सरकार ने महज उसे अपनाया है।’ उन्होंने कहा, ‘‘विभिन्न राज्यों का अलग-अलग बाजार शुल्क ढांचा है। इस शुल्क का लक्ष्य राज्य में मंडियों के बुनियादी ढांचे को आधुनिक बनाना एवं उसमें सुधार करना है।’’
प्रस्तावित बाजार शुल्क का विरोध
झारखंड में छह मंडियां हैं, रांची में दो तथा धनबाद, बोकारो, रामगढ़ एवं देवघर में एक-एक मंडी है। फेडरेशन ऑफ झारखंड चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (एफजेसीसीआई) के बैनर तले व्यापारिक संगठन अप्रैल से ही इस प्रस्तावित बाजार शुल्क का विरोध कर रहे हैं। व्यापारियों ने दावा किया कि प्रस्तावित शुल्क से उपभोक्ता उत्पादों के दाम बढेंगे और आम लोगों पर बोझ बढ़ जाएगा।
एफजेसीसीआई के अध्यक्ष धीरज तनेजा ने कहा, ‘‘ हमने विभिन्न तरीकों से अपनी शिकायतें सरकार तक पहुंचाने का प्रयत्न किया। लेकिन सरकार उसे सुनने को तैयार नहीं है। आखिरकार हमने अन्य राज्यों से शीघ्र नष्ट होने वाले एवं शीघ्र नष्ट नहीं होने वाले खाद्य उत्पादों का आयात रोकने का फैसला किया है। कोई भी व्यापारी तबतक नया आर्डर नहीं देगा, जबतक सरकार प्रस्तावित बाजार शुल्क वापस नहीं लेती है।’’ तनेजा ने कहा कि झारखंड चावल, दालें, खाद्य तेल, आलू एवं प्याज जैसी खाद्य जिंसों की आपूर्ति के लिए अन्य राज्यों पर निर्भर है और उसमें बाधा आने का प्रभाव तीन-चार दिन दिनों में राज्य में महसूस किया जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘ फिलहाल थोक व्यापारियों और खुदरा कारोबारियों के पास तीन-चार दिन के लिए इन चीजों का भंडार है। कुछ चीजों अभी ढुलाई के दौर में हैं। राज्य को तीन-चार दिन बाद खाद्यानों की कमी का अनुभव हो सकता है।’’ उन्होंने अपनी बात स्पष्ट करते हुए कहा कि चीजों की कमी से कालाबाजारी होगी एवं चीजों के दाम बेतहाशा बढेंगे।
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