यूक्रेन में अभी 20,000 से अधिक भारत के नागरिक रहते हैं, जिनमें से अधिकतर मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्र हैं.संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से पिछले हफ़्ते कहा था की 20,000 से अधिक भारतीय छात्र और नागरिक यूक्रेन के विभिन्न हिस्सों में रहकर पढ़ाई करते हैं. भारत के लोगों की मदद करना हमारी प्राथमिकता है.
लेकिन क्या मोदी सरकार को भारतीय नागरिकों को यूक्रेन से निकालने का काम काफ़ी पहले शुरू कर देना चाहिए था, ख़ास तौर पर तब जब यूक्रेन में हफ़्तों से संकट के हालात बने हुए थे?विपक्षी दलों समेत कुछ लोगों की राय में सरकार ने इस काम में देरी की. महाराष्ट्र, तमिलनाडु और बंगाल जैसे कुछ ग़ैर-बीजेपी राज्य सरकारों ने कहा कि वो अपने ख़र्च पर वहां फंसे अपने नागरिकों को लाने में पूरी तरह से तैयार हैं. सरकार के अनुसार ये मुद्दा विवादास्पद है कि नागरिकों को निकालने में कुछ देरी हुई. शायद 6-8 दिन पहले निकालने का काम शुरू हो सकता था. लेकिन परीक्षा के चलते बहुत से छात्र यूक्रेन छोड़ कर भारत वापस नहीं आना चाहते थे.
कीव में भारत के दूतावास की तरफ़ से बताया गया है कि भारतीय नागरिकों को यूक्रेन से सुरक्षित निकालने की यह प्रक्रिया रोमानिया, हंगरी और पोलैंड के भारतीय दूतावासों के संयुक्त प्रयासों से पूरी की जा रही है.
रूस के आक्रमण के बीच भारत अपने नागरिकों को यूक्रेन से बाहर निकालने की एक योजना पर अमल कर रहा है, जिसके तहत शुक्रवार को 470 भारतीय छात्रों का पहला जत्था यूक्रेन से बाहर निकलकर रोमानिया की सीमा पर पहुंच गया. हालांकि इन्हें अभी तक भारत नहीं लाया जा सका है. विदेश मंत्रालय के अनुसार उन छात्रों के रहने और खाने का इंतज़ाम सरकार ने किया है. कीव में भारत के दूतावास की तरफ़ से बताया गया है कि भारतीय नागरिकों को यूक्रेन से सुरक्षित निकालने की यह प्रक्रिया रोमानिया, हंगरी और पोलैंड के भारतीय दूतावासों के संयुक्त प्रयासों से पूरी की जा रही है.
भारतीय दूतावास ने कई दिन पहले कई एडवाइज़री जारी की और लोगों से यूक्रेन छोड़कर जाने की सलाह दी. वो कहते हैं कि कई छात्र पढ़ाई अधूरा छोड़ कर वापस लौटने में संकोच कर रहे थे.
वहीं विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला भारत सरकार के नागरिकों को निकालने में देरी की आलोचना किए जाने का जवाब देते हुए कहते हैं कि भारतीय दूतावास ने कई दिन पहले कई एडवाइज़री जारी की और लोगों से यूक्रेन छोड़कर जाने की सलाह दी. वो कहते हैं कि कई छात्र पढ़ाई अधूरा छोड़ कर वापस लौटने में संकोच कर रहे थे.गुरुवार को यूक्रेन पर रूसी हमले शुरू होने से दो दिन पहले एयर इंडिया का ड्रीमलाइनर बी-787 विमान 200 से अधिक भारतीय नागरिकों को भारत लेकर आया. लेकिन अगले विमान को यूक्रेन पहुंचने से पहले ही वापस लौटना पड़ा, क्योंकि तब तक रूस का आक्रमण शुरू हो चुका था और यूक्रेन का एयर स्पेस बंद हो चुका था.
एयर इंडिया ने 18 फ़रवरी को घोषणा की थी कि वो भारत और यूक्रेन के बॉरिस्पिल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के बीच तीन उड़ानें संचालित करेगी. यूक्रेन से तीन उड़ानों में से पहली उड़ान बीते मंगलवार की रात राजधानी दिल्ली पहुंची, उसके बाद यूक्रेन का एयर स्पेस बंद हो गया.भारतीय दूतावास ने पिछले सोमवार को विशेष उड़ानों पर एक एडवाइज़री जारी करते हुए ट्वीट किया, “यूक्रेन में मौजूदा स्थिति के लगातार बहुत तनावपूर्ण रहने और अनिश्चितताओं के बने रहने को देखते हुए” अतिरिक्त उड़ानों का संचालन किया जा रहा है.”
भारतीय विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक़, यूक्रेन में फंसे सभी नागरिकों को पहले पड़ोसी देशों में भेजा जाएगा, उसके बाद उन्हें एयर इंडिया के विमानों से भारत लाया जाएगा.
लेकिन आलोचक कहते हैं कि ये सारा इंतज़ाम सरकार शायद और पहले ही कर सकती थी. सरकार के पक्ष में कुछ लोगों की राय है कि यूक्रेन और रूस के बीच हफ़्तों से तनाव और संकट ज़रूर चला आ रहा था, लेकिन रूस हमला कर ही देगा, इसकी उम्मीद नहीं थी. क्योंकि ख़ुद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन हमले की योजना से इनकार कर रहे थे.अब भारत सरकार काफ़ी सक्रिय नज़र आ रही है. भारतीय विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक़, यूक्रेन में फंसे सभी नागरिकों को पहले पड़ोसी देशों में भेजा जाएगा, उसके बाद उन्हें एयर इंडिया के विमानों से भारत लाया जाएगा.
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