रूस के आक्रमण के बाद यूक्रेन के बॉर्डर को पार करने वाले लाखों महिलाओं व बच्चों को फंसाने की कोशिश हो रही है। एसोसिएटड प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, यूक्रेन से सटे पोलैंड, रोमानिया, माल्दोवा, हंगरी और स्लोवाकिया में बने रिफ्यूजी कैंपों में बड़े पैमाने पर ह्यूमन ट्रैफिकर्स (मानव तस्कर) सक्रिय हो गए हैं, जो इन रिफ्यूजी महिलाओं व बच्चों को अपने चंगुल में फंसा रहे हैं। साथ ही इन महिलाओं व बच्चों को शारीरिक शोषण का भी शिकार होना पड़ रहा है।
देखें कुछ उदाहरण :-
पोलैंड में पुलिस ने एक 49 साल के आदमी को गिरफ्तार किया है, जिसने युद्ध में घिरे यूक्रेन से भागकर आई 19 साल की रिफ्यूजी लड़की के साथ शेल्टर देने के बहाने रेप जैसा जघन्य अपराध किया।एक अन्य मामले में 16 साल की रिफ्यूजी लड़की के साथ रेप करने से पहले एक व्यक्ति को दबोच लिया। इस व्यक्ति ने लड़की को नौकरी और कमरा देने का वादा किया था।पोलैंड के मैडिका बॉर्डर पर रिफ्यूजी कैंप के अंदर पुलिस ने एक ऐसे आदमी को दबोचा, जो केवल महिलाओं व बच्चियों को ही तरह-तरह के लुभावने ऑफर दे रहा था। यह आदमी ह्यूमन ट्रैफिकिंग गिरोह से जुड़ा हुआ निकला।
यूक्रेन से सटे पोलैंड, रोमानिया, माल्दोवा, हंगरी और स्लोवाकिया में बने रिफ्यूजी कैंपों में बड़े पैमाने पर ह्यूमन ट्रैफिकर्स (मानव तस्कर) सक्रिय हो गए हैं.
यूनाइटेड नेशंस हाईकमिश्नर ऑफ रिफ्यूजी (UNHCR) ने इसे लेकर चिंता जताई है। साथ ही माना है कि इन बेहद संवेदनशील रिफ्यूजियों को शोषण से बचाना बहुत मुश्किल काम है। रोमानिया, पोलैंड व माल्दोवा में यूक्रेन बॉर्डर पर लगातार विजिट कर रही UNHCR की हेड (ग्लोबल कम्युनिकेशंस) जोंग-आह गेदिनी-विलियम्स ने कहा, निश्चित तौर पर आने वाले ज्यादातर रिफ्यूजी महिलाएं व बच्चे ही हैं। आपको न केवल इनकी तस्करी बल्कि अन्य तरह के शोषण का भी ध्यान रखना होगा।
कुछ लोग रिफ्यूजियों को फ्री शेल्टर से लेकर फ्री ट्रांसपोर्ट और कामकाज दिलाने तक की मदद कर रहे हैं, लेकिन इसी में खतरा भी पैदा हुआ है।
पोलैंड में पकड़े गए 49 साल के बुजुर्ग ने एक इंटरनेट पोर्टल के जरिए 19 साल की यूक्रेनी लड़की को मदद ऑफर की थी। लड़की को पोलिश भाषा नहीं आती थी, इसलिए उसने आसानी से उस बुजुर्ग पर भरोसा कर लिया। इसका नतीजा उसे एक जघन्य अपराध की शिकार होकर भुगतना पड़ा। अधिकारियों के मुताबिक, इस जघन्य अपराध के लिए बुजुर्ग को 12 साल तक की कैद भुगतनी पड़ सकती है।
UNHCR के मुताबिक, रोमानिया, पोलैंड, हंगरी, माल्दोवा और स्लोवाकिया में भारी संख्या में स्थानीय लोग और स्वयंसेवक बॉर्डर पार करने वालों की सेवा में जुट रहे हैं। ये लोग रिफ्यूजियों को फ्री शेल्टर से लेकर फ्री ट्रांसपोर्ट और कामकाज दिलाने तक की मदद कर रहे हैं, लेकिन इसी में खतरा भी पैदा हुआ है।
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