MPUT, उदयपुर ने आधुनिकतम तकनीक से किया इसे ईज़ाद
भारत तकनीकी के क्षेत्र में लगातार तरक्की कर रहा है, यहां खेती अब भी परंपरागत तरीके से ही चल रही है. नतीजतन किसानों को फसल से सही मुनाफा नहीं मिल रहा है, क्योंकि उन्हें कृषि के नवाचार का सही ढंग से प्रशिक्षण नहीं मिल रहा है. इसी को ध्यान में रखते हुए उदयपुर स्थित महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय (MPUT) ने वर्चुअल डियालिटी बेस्ट तकनीक को ईजाद किया है. एक ऐसा चश्मा बनाया गया है, जिसे किसान पहनेगा, तो उसे खेती से जुड़ी हर सूचना वीडियो के रूप में मिलेगी. उस वक़्त ऐसा महसूस होगा कि वह खेत में खड़ा है और वैज्ञानिक उसे प्रशिक्षण दे रहे हैं. इससे उसे पता चल जाएगा कि फसल में किस स्थिति में क्या करना चाहिए.
इसका रिसर्च किया है प्रोफेसर डॉ. सुनील जोशी ने
MPUT के इलेक्ट्रॉनिक विभाग के एचओडी डॉ. सुनील जोशी ने बताया कि किसान की वर्तमान में सबसे बड़ी समस्या यह है कि खेती के लिए उन्हें सही प्रशिक्षण नहीं मिलता है. विवि की तरफ से प्रशिक्षण तो दिए जाते हैं, लेकिन सभी किसानों तक पहुंचना संभव नहीं है. किसानों को खेती से जुड़ी हर जानकारी घर बैठे मिल जाए, इसके लिए वर्चुअल डियालिटी तकनीक विकसित की गई है. इस तकनीक से खेती से जुड़ी हर जानकारी उन्हें मिल जाएगी.
इसमें लगे हुए हैं 8 कैमरे
उन्होंने आगे बताया कि यह तकनीक दो पार्ट में हैं. पहला वर्चुअल रियलिटी 3डी कैमरा है. इसमें 8 कैमरे लगे हुए हैं, जिससे 360 डिग्री पर रिकॉर्ड हो जाता है. जो भी जानकारी किसान तक पहुंचनी है, वह इस कैमरे से विवि के रिसर्च फार्म पर जाकर रिकॉर्ड करते हैं. रिकॉर्ड करने के बाद डाटा एक पैन ड्राइव में ले लेते हैं, फिर पैन ड्राइव से डाटा को वर्चुअल रियलिटी मॉड्यूल यानी चश्मा में डालते हैं, फिर जैसे ही चश्मा पहनते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे खेत में खड़े हैं. यही नहीं, जैसे खेत में खड़े होकर चारों तरफ नजर घुमाकर देखते हैं, वैसे ही इसके जरिए भी देख सकते हैं.
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यह मॉड्यूल एक बार चार्ज करने पर चलता है 5 घंटे
उन्होंने आगे बताया कि यह मॉड्यूल एक बार चार्ज करने पर 5 घंटे तक चलता है. उदाहरण के तौर पर इसमें अगर किसान अपने खेत पर कोई नई फसल की बुआई करना चाहता है, लेकिन उसे प्रशिक्षण की जरूरत है लेकिन जा नहीं सकता, तो वह विवि जाए और वहां से फसल की तकनीक का वीडियो लाए और चश्मे में लगाकर घर बैठे प्रशिक्षण ले सकता है. इसकी लागत करीब 30 हजार रुपए आई, लेकिन ज्यादा प्रोडक्शन होगा तो कीमत ही कम होगी. सरकार सब्सिडी दे तो किसानों तक इसकी पहुंच आसान होगी.
विवि के कुलपति नरेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि विवि का उद्देश्य है कि किसानों की आय बढ़ाई जाय.
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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