इमरान ख़ान रूस के दौरे पर तब जा रहे हैं, जब यूक्रेन के साथ तनाव युद्ध की स्थिति के क़रीब है. इमरान ख़ान के दौरे के समय को भी काफ़ी अहम माना जा रहा है.विश्लेषकों का मानना है कि इससे एक संकेत जाएगा कि पाकिस्तान अपना पक्ष चुन रहा है और वह अमेरिका के साथ पश्चिम विरोधी खेमे का हिस्सा बन रहा है.पाकिस्तान के यूक्रेन से भी अच्छे संबंध रहे हैं और इस दौरे का असर यूक्रेन से रिश्तों पर भी पड़ सकता है.
इस्लामाबाद स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रैटिजिक स्टडीज़ में तैमूर ख़ान रूस मामलों के विशेषज्ञ हैं. ख़ान मानते हैं कि पाकिस्तान को इस दौरे को लेकर अपने सहयोगियों को भरोसे में लेना चाहिए.तैमूर ख़ान मानते हैं कि पाकिस्तान और रूस के रिश्ते में गर्मजोशी आने से रूस और भारत के बीच जो सैन्य और आर्थिक साझेदारी है, उस पर कोई असर नहीं पड़ेगा. ख़ान कहते हैं कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा बाज़ार है और हर देश चाहता है कि भारत के साथ संबंध ठीक रहे.
रूस ने भारत को पहले ही आश्वस्त कर दिया है कि पाकिस्तान से बढ़ती दोस्ती भारत की क़ीमत पर नहीं होगी.
राष्ट्रपति पुतिन पिछले साल भारत के दौरे पर आए थे और उन्होंने ऊर्जा, व्यापार के अलावा रक्षा क्षेत्र पर 28 समझौते किए थे. इसमें भारतीय सेना के लिए 600,000 रूसी असॉल्ट राइफल बनाने की बात भी शामिल है. तैमूर ख़ान कहते हैं कि रूस ने भारत को पहले ही आश्वस्त कर दिया है कि पाकिस्तान से बढ़ती दोस्ती भारत की क़ीमत पर नहीं होगी. भारत भी इस बात को समझता है.
इसके बावजूद भारत के भीतर इमरान ख़ान के दौरे को लेकर कई तरह की बातें होंगी. इससे रूस पर दबाव बनाए रखने में मदद मिलेगी.पाकिस्तान ऐसी साझेदारी की तलाश में है, जिससे उसकी अर्थव्यवस्था की सेहत ठीक हो. लेकिन ऐसा लगता है कि रूस इस्लामाबाद से सुरक्षा संबंध विकसित करना चाहता है.
2014 में राष्ट्रपति पुतिन ने पाकिस्तान से हथियारों को लेकर प्रतिबंध हटा लिया था.
तैमूर ख़ान कहते हैं कि सुरक्षा सहयोग दोनों देशों के रिश्तों पर जमी बर्फ़ पिघलाने वाला साबित हो सकता है. 2014 में राष्ट्रपति पुतिन ने पाकिस्तान से हथियारों को लेकर प्रतिबंध हटा लिया था. रूसी मिग-35M कॉम्बैट हेलिकॉप्टर को लेकर पाकिस्तान से एक समझौता भी हुआ था.
अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी नेतृत्व वाला सैन्य गठबंधन वापस गया तब से पाकिस्तान और रूस के बीच रक्षा सहयोग बढ़ा है. इसके बाद से शीत युद्ध में अमेरिकी खेमे वाला पाकिस्तान रूस के क़रीब आता दिख रहा है.
2018 में रूस-पाकिस्तान जॉइंट मिलिटरी कंसल्टेटिव कमिटी (जेएमसीसी) बनी थी. पहली बार ऐसा हुआ कि पाकिस्तानी सेना के अधिकारियों को रूसी सेना ने ट्रेनिंग दी. दोनों देशों के बीच कई बार आतंकवाद विरोधी सैन्य अभ्यास भी हो चुका है. राष्ट्रपति पुतिन ने जब इस्लामोफ़ोबिया के ख़िलाफ़ बोला तो पाकिस्तान में स्वागत हुआ. इमरान ख़ान ने पुतिन की जमकर तारीफ़ की थी.
राष्ट्रपति पुतिन ने जब इस्लामोफ़ोबिया के ख़िलाफ़ बोला तो पाकिस्तान में स्वागत हुआ.
जब रूस के भारत के साथ इतने मज़बूत संबंध हैं तो वह क्यों उसके कट्टर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान से क़रीबी बढ़ा रहा है. क्या उसे पता नहीं है कि भारत के लिए यह उलझन पैदा करने वाला होगा? राजनीतिक टिप्णीकार डॉ हसन असकारी रिज़वी कहते हैं कि इस क्षेत्र में चीज़ें उलट-पुलट हो रही हैं और रूस यथार्थवादी रुख़ अपना रहा है.रिज़वी कहते हैं, ”क्षेत्रीय और वैश्विक राजनीतिक आयाम बदल रहे हैं.
सोवियत संघ के पतन के बाद से रूस आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है. लेकिन अब एक विश्व नेता के तौर पर उभरने के लिए तैयार है. एशिया-पैसिफिक में चीन को रोकने के लिए जब भारत और अमेरिका रणनीतिक साझेदार बने तो रूस को लगा कि पाकिस्तान की तरफ़ थोड़ा मुड़ना सही रहेगा.”
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