राहुल गांधी तो अपने भाषण में सत्ता पक्ष के ऊपर एक-दो ही गोले छोड़ने की बात कहे थे, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी शुरू से ही कांग्रेस पर बेहद तीखे हमले करते रहे. चुन चुन कर कांग्रेस नेता के आरोपों का जवाब भी देते रहे. कांग्रेस के साथ साथ आम आदमी पार्टी को भी निशाने पर लिया. निश्चित तौर पर ‘कट्टर भ्रष्टाचार’ का इस्तेमाल प्रधानमंत्री मोदी ने अरविंद केजरीवाल के लिए ही किया है. दिल्ली शराब नीति को लेकर सीबीआई की जांच पड़ताल के दौरान आम आदमी पार्टी के नेताओं की तरफ से खुद को ‘कट्टर इमानदार’ होने के दावे किये जाते रहे हैं.
संसद में प्रधानमंत्री मोदी ने मणिपुर पर अपनी बात वैसे ही रखी जैसे 2015 में दादरी में अखलाक की हत्या पर चुप्पी तोड़ी थी. तब भी मोदी की चुप्पी पर सवाल उठ रहे थे, लेकिन तभी तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की तरफ से घटना की निंदा करते हुए बयान जारी कर दिया गया. प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति के बयान पर ही मुहर लगा दी, और काम चला लिया था. तब बोले थे कि जो महामहिम ने कहा है उसी को ब्रह्मवाक्य के तौर पर लिया जाये – और एक बार फिर मणिपुर के मामले में भी मोदी ने वही स्टाइल अपनायी है.
विपक्षी दलों को घेरते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मणिपुर के हालात पर गृह मंत्री अमित भाई शाह ने विस्तार से, धैर्यपूर्वक अपनी बात रखी है. सारे विषय को विस्तार से समझाया है. सरकार और देश की चिंता को सामने रखा है.
मोदी ने बताया कि अमित शाह के बयान में देश की जनता को जागरूक करने का प्रयास भी था, लेकिन ये आरोप भी लगाया कि विपक्ष ने एक बेहद संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति की. प्रधानमंत्री मोदी का कहना है कि मणिपुर पर अदालत के फैसले से उसके पक्ष और विपक्ष में परिस्थितियां बनीं, अनेक गंभीर स्थितियां बनीं और मणिपुर में अक्षम्य अपराध हुआ है.
अविश्वास प्रस्ताव पेश करते हुए कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने मणिपुर पर प्रधानमंत्री से बयान की अपेक्षा के साथ ही तीन सवाल किये थे. गौरव गोगोई का सवाल ये भी था कि मणिपुर के मुख्यमंत्री को बर्खास्त क्यों नहीं किया गया. टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने भी मणिपुर की घटना पर तमाम आंकड़े पेश करते हुए बीजेपी की डबल इंजिन सरकार के दावों पर सवाल उठाया था.
अपने जवाब में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि केंद्र और राज्य की दोनों ही सरकारें मिल कर मणिपुर में शांति स्थापित करने का प्रयास कर रही हैं. ये भी भरोसा दिलाया कि दोषियों को सजा जरूर मिलेगी. और फिर उम्मीद जाहिर करते हुए बोले, मैं देश के लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि मणिपुर में जिस तरह से प्रयास चल रहे हैं, निकट भविष्य में शांति का सूरज जरूर उगेगा.
राहुल गांधी के अविश्वास प्रस्ताव शुरू करने की घोषणा और फिर ऐन वक्त गौरव गोगोई को मोर्चे पर तैनात कर देने को लेकर बीजेपी के कई नेताओं ने सवाल तो उठाया ही था, प्रधानमंत्री मोदी इस मामले को विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी पर शिफ्ट कर दिया. 1999 से लेकर अब तक के अविश्वास प्रस्तावों की याद दिलाते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने सवाल उठाया कि कैसे हर बार शुरुआत विपक्ष के नेता की तरफ से होती रही, लेकिन 2023 आते आते गांधी परिवार ने अधीर रंजन चौधरी से ये मौका भी छीन लिया.
राहुल गांधी ने अविश्वास प्रस्ताव की शुरुआत क्यों नहीं की, ये कांग्रेस नेताओं को भी अब तक ठीक से नहीं मालूम है, लेकिन अगर राहुल गांधी ने हाथ खींच लिये तो ये टास्क अधीर रंजन को क्यों नहीं दिया गया, ये एक सवाल तो है ही. इसी बहाने मोदी ने ये तोहमत भी मढ़ डाली कि कांग्रेस में परिवारवाद इतना हावी है कि परिवार से बाहर के किसी नेता को बड़ा मौका मिल ही नहीं सकता.
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