साल 2008 के अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट केस में विशेष अदालत ने दोषी ठहराए गए 49 लोगों में से 38 को मौत की सज़ा दी. कोर्ट ने 11 लोगों को उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई. दोषियों को यूएपीए और आईपीसी की दफ़ा 302 के तहत सज़ा सुनाई गई.कोर्ट ने इसके पहले 77 अभियुक्तों में से 49 को दोषी ठहराया. 28 लोगों को बरी कर दिया गया.
विशेष न्यायाधीश एआर पटेल ने अपने फ़ैसले में ब्लास्ट में मारे गए लोगों को एक लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया. गंभीर रूप से घायल हुए लोगों को 50 हज़ार और मामूली घायल हुए लोगों को 25 हज़ार रुपये देने का भी आदेश दिया.अहमदाबाद में 26 जुलाई 2008 को 70 मिनट के दौरान 21 बम धमाके हुए. इनकी चपेट में आकर 56 लोग मारे गए और 200 घायल हुए.इंडियन मुजाहिदीन और हरकत उल जिहाद अल इस्लामी चरमपंथी समूह ने धमाकों की ज़िम्मेदारी ली.
तस्वीर में जिन लोगों को दिखाया गया था वो सभी एक ख़ास धर्म के दिख रहे थे. इसे लेकर लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया दी.
फ़ैसला आने के बाद गुजरात बीजेपी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से एक रेखा चित्र (कैरिकेचर) पोस्ट किया. इसमें कई लोग एक साथ फांसी के तख्ते पर दिखाए गए थे. तस्वीर में जिन लोगों को दिखाया गया था वो सभी एक ख़ास धर्म के दिख रहे थे. इसे लेकर लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया दी.गुजरात बीजेपी के प्रवक्ता यमल व्यास ने कहा, ” ट्वीट का संदेश साफ़ था कि जिन लोगों ने अपराध किया, उन्हें सज़ा दी गई. धमाके के दोषियों के फ़ोटो के आधार पर स्केच तैयार किए गए थे. किसी ख़ास समुदाय के ख़िलाफ़ कोई संकेत नहीं था.’
इस फ़ैसले के बाद सभी दोषियों के फ़ोटो अख़बारों में छापे गए और टीवी पर भी दिखाए गए.”ट्वीट डिलीट करने को लेकर उन्होंने कहा, ” अपराधियों का समर्थन करने वाले कुछ असामाजिक तत्वों ने हमारे ट्वीट की रिपोर्ट की और ट्विटर ने इसे डिलीट कर दिया.गुजरात कांग्रेस प्रवक्ता मनीष दोषी ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “आतंकवाद का धर्म से कोई लेना देना नहीं होता और इसे कांग्रेस से बेहतर कोई नहीं जानता. कांग्रेस ने आतंकवाद की वजह से दो पूर्व प्रधानमंत्रियों को खोया है. “उन्होंने कहा, “बीजेपी कोर्ट के फ़ैसले का फ़ायदा उठा रही है और विवादित ट्वीट के जरिए इस पर जश्न मना रही है. ऐसे फ़ैसलों का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए नहीं होना चाहिए.
आतंकवाद का धर्म से कोई लेना देना नहीं होता और इसे कांग्रेस से बेहतर कोई नहीं जानता.
बीजेपी की आलोचना करते हुए अमेरिकी मुस्लिम स्कॉलर उमर सुलेमान ने लिखा, “जब ‘सबसे बड़े लोकतंत्र’ की सत्ताधारी पार्टी ये फ़ोटो ट्वीट करती है तो साफ़ हो जाता है कि हम किस दिशा में बढ़ रहे हैं. पूरी तरह से भयावह और स्कूलों में हिजाब बैन को लेकर जो रहा है, फ़ासीवादी क़ानूनों और कश्मीर पर अवैध कब्जा जारी रहने से ये मेल खाता है.
तृणमूल कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता साकेत गोखले ने ट्विटर पर लिखा, ” ये नस्लीय संहार वाला कार्टून भारत की सत्ताधारी पार्टी की ओर से है और उनके इरादों की जानकारी देता है. सबसे अहम ये है कि उन्होंने भारत के राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह का इस्तेमाल किया है. आईटी मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव @AshwiniVaishnaw को तुरंत स्पष्टीकरण देना चाहिए कि क्या सरकार की आधिकारिक नीति है या फिर दोषियों को गिरफ़्तार किया जाना चाहिए. ”
बीजेपी के इस ट्वीट की देश ही नहीं बल्कि देश के बाहर भी आलोचना की गई.
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