सुप्रियो भट्टाचार्य ने आगे कहा कि स्थानीय नीति और ओबीसी आरक्षण को लेकर हालिया कैबिनेट के फैसले को जेएमएम ने ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि हमारी सरकार की कोशिश इससे जुड़े कानूनी अड़चनों को दूर करने की है लेकिन बीजेपी की मंशा कुछ और है। राज्य के वर्तमान राजनीतिक हालात के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन लगातार अपने दांव से विरोधियों को चित्त करते नजर आ रहे हैं।
सत्तारूढ़ दल झारखंड मुक्ति मोर्चा जहां अपनी सरकार के फैसले से गदगद है और 2024 में सियासी तौर पर खुद को मजबूत समझ रही है।वहीं विपक्षी दल बीजेपी की हर वो कोशिश नाकाम होती नजर आ रही है जिन कोशिशों के सहारे बीजेपी हेमंत सरकार को घेरने में जुटी थी।झारखंड में जारी राजनीतिक अनिश्चितता समाप्त होने का नाम नहीं ले रही है।
एक तरफ हेमंत सोरेन सरकार फटाफट अपने मेनिफेस्टो के कामों को आकार देने में लगी है वहीं दूसरी तरफ झारखंड के सियासत की गर्मी राज्यपाल की चुप्पी ने बढ़ा दी है।ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले में हेमंत सोरेन के खिलाफ आए चुनाव आयोग के फैसले का लिफाफा राजभवन से अभी तक खुला नहीं है।ऐसे में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन गुरुवार को नई दिल्ली रवाना होने से पहले राज्यपाल रमेश बैस से मिलने पहुंचे थे।
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