
पूर्व राज्य सभा सदस्य व राजद के वरिष्ठ नेता राजनीति प्रसाद कहते हैं कि विचार के बिना कुछ नहीं सम्भव है। इसलिए यह जरूरी है कि राजद कार्यकर्ताओं को समाजवादी नेताओं के विचारों से अवगत कराया जाए।
प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन कहते हैं कि जो हमारे समाजवादी नेता हैं उनका क्या योगदान है और उनके विचार कैसे हैं , कार्यकर्ताओं को बौद्धिक रुप से मजबूत करने के लिए राजद कार्यालय में लाइब्रेरी तैयार की गई है, जिसका उद्घाटन लालू प्रसाद ने किया है।
लालू प्रसाद के बजाय तेजस्वी जी के नाम पर यह वाचनालय क्यों बनाया गया है? इसके जवाब में चित्तरंजन गगन कहते हैं कि यह तेजस्वी यादव का कांसेफ्ट है इसलिए इसका नाम तेजस्वी वाचनालय रखा गया है।
लालू प्रसाद के छोटे बेटे तेजस्वी यादव को राजद में सभी तरह की नीति बनाने के लिए अधिकृत करने के बाद पहली बार हुआ कि उनके नाम पर एक वाचनालय (रीडिंग रूम) की शुरुआत की गई। इसका नाम रखा गया ‘ लोहिया-कर्पूरी पुस्तकालय सह तेजस्वी वाचनालय’।
जदयू ने इसपर सवाल किये है कि तेजस्वी के नाम पर वाचनालय का क्या मतलब ? लाइब्रेरी में लालू प्रसाद से जुड़ी किताबें तो होंगी ही , अन्य समाजवादी नेताओं से जुड़ी किताबें भी होंगीं। लालू प्रसाद की जीवनी गोपालगंज से रायसीना जिसके लेखन नलिन वर्मा हैं भी यहां पर रखी गई है।
लोहिया रचनावली, राजेन्द्र प्रसाद की आत्म कथा सहित कर्पूरी संसदीय जीवन का खंड यहां है। यहां हिंदी- अंग्रेजी डिश्नरी भी है। इतिहास की कई किताबें यहां रखी गई हैं। विपिन चंद्रा की कई किताबें हैं। जदयू के प्रवक्ता व पूर्व मंत्री नीरज कुमार कहते हैं कि तेजस्वी वाचनालय बनाने का क्या औचित्य है?
लोहिया कर्पूरी पुस्तकालय तो ठीक है पर तेजस्वी वाचनालय क्यों ? क्या तेजस्वी ने खुद को राम मनोहर लोहिया या कर्पूरी ठाकुर के बराबर मान लिया है? लोहिया और कर्पूरी ने तो उच्च मापदंड स्थापित किये।
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