यह साल मोदी सरकार द्वारा थोपे गए राजनीतिक-आर्थिक संकटों का सामना करने में बीत गया
रांची. 31 दिसंबर 2023. झारखंड का यह साल मोदी सरकार द्वारा थोपे गए राजनीतिक-आर्थिक संकटों का सामना करने में बीत गया. मोदी सरकार ने एक ओर झारखंड का केंद्र द्वारा देय बकाया डेढ़ लाख करोड़ राशि का अब तक भुगतान नहीं किया और राज्य के आर्थिक स्थितियों को बदतर बनाए रखा. दूसरी ओर राज्यपाल श्री रमेश बैस लगातार अपने वक्तव्यों और गतिविधियों से हेमंत सरकार के राजनीतिक संकट पैदा करते रहे. CPI (ML) के राज्य सचिव मनोज मनोज भक्त ने रविवार को एक प्रेस-विज्ञप्ति जारी करते हुए उक्त बातें कहीं.
उन्होंने आगे कहा कि बैस के जाने के बाद नियुक्त राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन ने स्थानीयता और आरक्षण संबंधी बिलों को लौटा कर राज्य के युवाओं की आकांक्षाओं पर बड़ा आघात किया है. विपक्षी महा गठबंधन इंडिया के गठन के बाद अब भाजपा के इन प्रपंचों का जवाब नए वर्ष में देने की संभावनाएं मूर्त हो गई हैं.
भाकपा माले ने भ्रष्टाचार के खिलाफ बीते वर्ष हर स्तर पर संघर्ष किया है
उन्होंने कहा कि नए साल में उम्मीद है कि हेमंत सरकार स्थानीय नियुक्तियों में तेजी और जाति जनगणना नहीं करा पाना में सफल होगी. भाकपा माले ने आंदोलनों के जरिए और माले विधायक विनोद सिंह ने विस में इन मुद्दों को उठाकर जनता के हितों को सामने लाया है. भाकपा माले राज्य में रोजगार, राशन, आवास और भूमि-अधिकार के लिए आगामी वर्ष में अभियान को राजनीतिक गोलबंदी में बदलेगी. भाकपा माले ने भ्रष्टाचार के खिलाफ बीते वर्ष हर स्तर पर संघर्ष किया है. लोकसभा चुनाव में झारखंड में नियुक्तियों का बड़ा स्रोत कोयला, लोहा, बिजली आदि से जुड़े सार्वजनिक उपक्रम हैं.
सार्वजनिक क्षेत्रों में नियुक्तियां 2014 से ठप्प हैं
मोदी सरकार की नीतियों की वजह से ये क्षेत्र तेजी से अडाणी जैसे चुनिंदा कॉर्पोरेट्स के हाथ में जा रहे हैं, जहां सुरक्षित रोजगार के बजाय ठेका आधारित रोजगार है. सार्वजनिक क्षेत्रों में नियुक्तियां 2014 से ठप्प हैं और उल्टे छंटनी धड़ल्ले से हो रही है. विस्थापितों के लिए भी नौकरी की गारंटी मोदी सरकार नहीं दे पा रही है. दूसरी ओर मनरेगा में केंद्र का हिस्सा बार-बार अटकाए जाने और अनियमित किए जाने से भी झारखंड संकट में है. मोदी सरकार की नीतियों की वजह से बीता साल आदिवासियों और दलितों के लिए रोजगार की समस्या विकट हो गयी है. इसे हल के बजाय मोदी सरकार संघ परिवार की मदद से डीलिस्टिंग का हल्ला कर आदिवासियों के अंदर फूट डालने में लगी हुई है.
भाकपा (माले) आगामी वर्ष 2024 में झारखंड में लोकसभा चुनाव इंडिया गठबंधन के तहत लड़ेगी
संघ परिवार के जरिए झारखंड में सांप्रदायिक उन्माद फैलाने के षड़यंत्र अब तक असफल रहे हैं. विश्व हिंदु परिषद के एक नेता पर रांची भड़काऊ भाषण देने के आरोप में मुकदमा भी हुआ है. लेकिन पलामू में पांकी विधायक शशिभूषण मेहता लगातार वहां माहौल को तनावपूर्ण बनाने के लिए भड़काऊ वक्तव्य दे रहे हैं. राज्य सरकार ने अब तक तमाम साक्ष्यों के बावजूद इस विधायक के खिलाफ एफ़आईआर तक नहीं किया है. भाकपा (माले) आगामी वर्ष 2024 में झारखंड में लोकसभा चुनाव इंडिया गठबंधन के तहत लड़ेगी और झारखंड में भाजपा की पराजय सुनिश्चित करने के लिए पूरी ताकत लगाएगी. साथ ही कोडरमा लोकसभा क्षेत्र में चुनाव में भाकपा माले की जीत के लिए इंडिया के तमाम शक्तियों को एकजुट करेगी.
झारखण्ड में बाल-श्रम पर रोकथाम व इसके उन्मूलन के लिए उठाया जा रहा है बड़ा कदम
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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