पेगासस को इसराइल की साइबर सुरक्षा कंपनी एनएसओ ने तैयार किया है. पेगासस एक ऐसा प्रोग्राम है जिसे अगर किसी स्मार्टफ़ोन में डाल दिया जाए, तो कोई हैकर उस स्मार्टफोन के माइक्रोफ़ोन, कैमरा, ऑडियो और टेक्सट मेसेज, ईमेल और लोकेशन तक की जानकारी हासिल कर सकता है.भारत के बारे में आधिकारिक तौर पर ये जानकारी नहीं है कि सरकार ने एनएसओ से ‘पेगासस’ को खरीदा है या नहीं. बांग्लादेश समेत कई देशों ने पेगासस स्पाईवेयर ख़रीदा है. इसे लेकर पहले भी विवाद हुए हैं.
हालांकि, एनएसओ ने पहले ख़ुद पर लगे सभी आरोपों को ख़ारिज किया है. ये कंपनी दावा करती रही है कि वो इस प्रोग्राम को केवल मान्यता प्राप्त सरकारी एजेंसियों को बेचती है और इसका उद्देश्य “आतंकवाद और अपराध के खिलाफ लड़ना” है. हालिया आरोपों को लेकर भी एनएसओ ने ऐसे ही दावे किए हैं.सरकारें भी ज़ाहिर तौर पर बताती हैं कि इसे ख़रीदने के लिए उनका मक़सद सुरक्षा और आतंकवाद पर रोक लगाना है लेकिन कई सरकारों पर पेगासस के ‘मनचाहे इस्तेमाल और दुरुपयोग के गंभीर’ आरोप लगे हैं.भारत में ये मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा है और अब इसे लेकर एक जांच समिति बनाई गई है जिसकी रिपोर्ट आनी बाकी है.
कई सरकारों पर पेगासस के ‘मनचाहे इस्तेमाल और दुरुपयोग के गंभीर’ आरोप लगे हैं.
पिछले साल जुलाई में ‘वॉशिंगटन पोस्ट’ और भारत में समाचार वेबसाइट ‘द वायर’ ने एक ख़बर में दावा किया था कि दुनियाभर के कई पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के फोन हैक किए गए.’द वायर’ के अनुसार कंपनी के क्लाइंट्स की जिन लोगों में दिलचस्पी थी, उनसे जुड़े 50,000 नंबरों का एक डेटाबेस लीक हुआ है और उसमें 300 से ज़्यादा नंबर भारतीय लोगों के हैं.इन लोगों में भारत के राजनेताओं, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का नाम भी शामिल है जिन्हें जासूसी की सूची में रखा गया था. हालांकि, ये साफ़ नहीं था कि इन लोगों पर जासूसी की गई है या नहीं
इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन ने ट्वीट किया, ”न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार ने जुलाई 2017 में पेगासस की ख़रीदारी की थी. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान भी पेगासस की खरीद को ना स्वीकारा है और ना इससे इनकार किया है.”पत्रकार सीमा चिश्ती ने ट्वीट किया, ”मोदी सरकार को इस पर स्पष्ट होना होगा. यह बताता है कि केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा क्यों नहीं दाखिल किया और पूरा संसदीय सत्र ऐसे ही चला गया क्योंकि सरकार ने तथ्यों को नहीं बताया. पेगासस एक साइबर हथियार है.”
‘द वायर’ के संस्थापक और वरिष्ठ पत्रकार एम के वेणु ने भी सरकार पर सवाल उठाया है.
पत्रकार रोहिणी सिंह ने लिखा, ”न्यूयॉर्क टाइम्स में रिपोर्ट है कि भारत ने 2017 में पेगासस खरीदा और अपने ही नागरिकों के ख़िलाफ़ इस्तेमाल किया. मोदी सरकार ने महिलाओं का पीछा किया, फोन हैक किए, उनकी सुरक्षा के साथ समझौता किया और इस पर जनता का पैसा खर्च किया. ‘द वायर’ के संस्थापक और वरिष्ठ पत्रकार एम के वेणु ने भी सरकार पर सवाल उठाया है. उन्होंने ट्वीट किया, ”एनवाई टाइम्स झूठ बोल रहा है, सिटिजन लैब झूठ बोल रही है, एमनेस्टी टेक झूठ बोल रहा है, जर्मन सरकार झूठ बोल रही है, अमेरिकी सरकार, एप्पल इंक और व्हाट्सएप जिन्होंने एनएसओ पर केस किया वो सब झूठ बोल रहे हैं. पेगासस को लेकर सिर्फ़ मोदी सरकार सच्चाई के साथ अकेली खड़ी है.”
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