बैंकों का लाखों करोड़ रुपए लेकर विदेश भागे पूंजीपतियों को क्यों नहीं पकड़ पा रही मोदी सरकार
न कार है , न खुद का घर और जमीन। फिर भी उन्होंने कुल संपत्ति 3.02 करोड़ रुपए !
रीवा 15 मई। वाराणसी से लोकसभा का नामांकन पत्र भरते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हलफनामा से यह बात सार्वजनिक हुई कि उनके पास न कार है , न खुद का घर और जमीन। फिर भी उन्होंने कुल संपत्ति 3.02 करोड़ रुपए बताई है। इस बात को लेकर समता संपर्क अभियान के राष्ट्रीय संयोजक लोकतंत्र सेनानी अजय खरे ने कहा कि याद करें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के जनवरी 2015 में भारत आगमन पर 10 लाख का सूट पहन रखा था। वैसे भी वह प्रतिदिन तीन चार बार नए कपड़े पहनते हैं जिनकी कीमत लाखों रुपए होती है, लेकिन उनकी इस फिजूल खर्ची का कहीं कोई जिक्र नहीं होता है। न ही इसे उनकी आमदनी में गिना जाता है।
स्वयं को गरीब बताना मोदी का राजनीतिक पाखंड
बात-बात पर अपने आप को फकीर और गरीब चाय वाला बताने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास देश की आर्थिक हालत ठीक नहीं होने के बावजूद सरकारी खर्च पर हजारों करोड रुपए की लागत का हवाई जहाज एवं काफी कीमती कार मौजूद है। श्री खरे ने बताया कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के रोज के खर्चे पर देश के संसद में सवाल उठाए जाते थे। यहां तक उनके पहनावे में गुलाब का फूल लगाने पर भी तंज कसा जाता था लेकिन आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मनमानी खर्चों पर कहीं कोई हिसाब नहीं हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफिले पर पता नहीं कितने बार क्विंटलों गुलाब पंखुड़ियां की पुष्पवर्षा हुई पर कोई सवाल भी नहीं करता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चाय वाला की छवि, जनता के साथ छलावा
लोकतंत्र सेनानी श्री खरे ने कहा कि देखने को मिलता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभी भी अपने आप को चाय वाला ही बताते हैं, जबकि सन 2001 से लेकर मई 2014 तक वह गुजरात के लगातार मुख्यमंत्री रहे और उसके बाद 10 वर्ष से देश के प्रधानमंत्री हैं। इसके बावजूद उनके द्वारा अपने आप को गरीब बताना राजनीतिक पाखंड के अलावा और कुछ नहीं है। देश के बैंकों में जमा लाखों करोड़ रुपयों का गोलमाल करने वाले गुजराती पूंजीपतियों को मोदी सरकार के समय विदेश भागने का मौका ही नहीं मिला बल्कि आज तक उनको गिरफ्तार करके भारत नहीं लाया जा सका है। देश की जनता को यह बात समझने की जरूरत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में उनके मित्र अमीरों का लाखों करोड़ रुपये कर्ज माफ किया गया।
अमीरों का कर्ज माफ नहीं होना चाहिए
श्री खरे ने कहा कि किसी भी सरकार के द्वारा अमीरों का कर्ज माफ नहीं होना चाहिए। कर्ज माफी की स्थिति केवल गरीबों के लिए होनी चाहिए, ताकि वह इसके बोझ से उबर सकें। इधर देखने को मिल रहा है कि अमीरों का कर्ज माफ करके या उन्हें अनुचित लाभ पहुंचा कर उनसे राजनीतिक चंदा लेने का धंधा शुरू है। इलेक्टोरल बांड घोटाले के खुलासे के बाद यह बात स्पष्ट हुई है कि बड़े पैमाने पर पूंजीपतियों को गलत तरीके से लाभ पहुंचाकर सत्तारूढ़ पार्टी के द्वारा चंदा वसूलने का काला कारोबार चल रहा है। श्री खरे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में ही अडानी जैसे लोग दुनिया के अमीरों की सूची में दूसरे नंबर तक पहुंच गए थे, जबकि देश की आर्थिक हालात बेहद खराब है । भारत लाखों करोड़ रुपए के विदेशी कर्ज के बोझ से दबा जा रहा है।
आखिरकार मोदी सरकार देश को भारी भरकम कर्ज से मुक्ति दिलाने की जगह अपने मित्रों की कर्जमाफी कराने और भारतीय बैंकों का लाखों करोड़ रुपए लेकर विदेश भाग गए पूंजीपति मित्रों के प्रति नरमी क्यों बरत रही है। लोकसभा के चुनाव में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसका जवाब देना चाहिए।
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शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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