पश्चिम बंगाल में निष्पक्ष निकाय चुनाव हो, इसके लिए केंद्रीय पुलिस बल की तैनाती की मांग को लेकर भाजपा द्वारा दायर याचिका पर 13 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. भाजपा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी ने चीफ़ जस्टिस एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि राज्य में निकाय चुनाव से पहले उनकी पार्टी के उम्मीदवारों को धमकाया जा रहा है, उन पर दबाव डाला जा रहा है.
पहले तो जस्टिस एएस बोपन्ना और हिमा कोहली ने कहा, “ये सभी चुनावी मामले हैं और आपको यह लड़ाई ज़मीन पर ही लड़नी है. हम आपकी याचिका पर सुनवाई नहीं कर सकते.” वरिष्ठ अधिवक्ता ने तब त्रिपुरा में निकाय चुनाव से पहले कथित हिंसा को लेकर तृणमूल कांग्रेस पार्टी की इसी तरह की याचिका पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ की सुनवाई का हवाला दिया. इस पर पीठ ने कहा, “हम केस रिकॉर्ड देखेंगे. फिर इस याचिका को स्वीकार करने पर फैसला लेंगे.”
ज्ञात हो कि त्रिपुरा के निकाय चुनाव को लेकर विपक्षी पार्टी तृणमूल कांग्रेस और सीपीएम ने यह आरोप लगाया था कि उनके प्रत्याशियों और समर्थकों को वोट नहीं देने दिया जा रहा है, तब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की दो अतिरिक्त कंपनियों को वहां भेजने का निर्देश दिया था. इसी को आधार बनाते हुए भाजपा ने यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में डाली है.
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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